Image by Sasin Tipchai from Pixabay वो छोटी-सी लड़की बचपन से ही लड़ती रही,
मुश्किलों की धूप में भी हँसकर ही चलती रही।
कपड़ों पर, सपनों पर लोग हँसते थे बेकार,
पर उसके हौसले कहते –“तू मत होना लाचार।”
आँखों में सपने थे, दिल में मज़बूत इरादे,
माँ-पापा का नाम चमकाना — बस यही थे वादे।
हर रात खिड़की के पास बैठकर भगवान को पुकारती,
“थोड़ी हिम्मत दे दो मुझे”— मासूम दिल से कहती।
ज़िंदगी ने ठोकरें दीं, पर वो टूटकर नहीं बिखरी,
हर चोट के बाद और भी चमकी, और भी निकली निखरी।
आज वही लड़की लोगों की मिसाल बनी खड़ी है,
जिसे दुनिया ने ठुकराया, वो दुनिया से बड़ी है।
सपनों की उड़ान में अब कोई रुकावट नहीं,
क्योंकि उसके विश्वास से बड़ी कोई ताकत नहीं।
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