आप हो जगत के प्राणाधार,
आप ही हो ब्रह्म रुप साकार,
हे गुरु आप कृपा रुप अवतार,
हूं दीन-हीन, कृपा करो सरकार।।
आप हो विदित वेद-स्वरूप,
विशुद्ध ज्ञान मय तत्व-सार,
साकार जगत के रुप-आकार,
हूं दीन-हीन, कृपा करो सरकार।
आपकी महिमा अगम-अनंत,
वाणी में बसता हैं तत्व-वेदांत,
करो कृपा, मिटे मोह का भार,
हूं दीन-मलिन, कृपा करो सरकार।।
आपकी चरण-शरण की छांव,
मिटे हृदय में ग्रहीत अनेक कुभाव,
आप करते ग्रसित पाप निस्तार,
हूं दीन-हीन, कृपा करो सरकार।।
आप हो करुणामय सुखों के धाम,
चरणों में हे गुरुदेव चाहूं मैं विश्राम,
जगत असार हैं, केवल आप हो सार,
हूं दीन-हीन, कृपा करो सरकार।।
आप हो गुरुदेव जगत के प्राण-पति,
करके कृपा मिटाते लिखे भाल-कुअंग,
आप कृपा से करते हो भव से पार,
हूं दीन-हीन, कृपा करो सरकार।।