अरी ओ गज गामिनी- ओ भामिनी,
तेरे संग में चढ़ूं हिंडोला प्रेम के,
घूम लूं संग तेरे हसीन वादियों में,
गाए संग-संग तेरे पिया राग-रागिनी।।
जादू भरे नैना तेरे, इसमें डूब जाऊँ,
अल्हड़ अदाएँ तेरी पिया, बारी जाऊँ,
चैन मिले रूह को, नैना तुमसे मिलाऊँ,
सजाऊँ हसीन सपने संग तेरे भामिनी।।
तेरी बोली, जैसे घंटियाँ बजी हो कहीं,
चितवन हैं चंचला, तू पिया चित चोरनी,
लुभाए मन को तु बन के वन मोरनी,
बारी जाऊँ, जो गुनगुनाए होंठों से रागिनी।
कोमल से तेरे अधर पें मंद-मंद मुस्कान,
प्रेम रस की सरिता बहाए जा रही तूं,
मन मेरा बना चंचल, बुलाए जा रही तूं,
रूप तेरा अप्सरा सा, पिया तू मृदु भाषिणी।।
अरी गज गामिनी चले तू डगर इठलाती हुई,
डाले हुए घूँघट जरा-जरा सी शरमाती हुई,
चले प्रेम की डगर नागिन सी बलखाती हुई,
मेरे हृदय के कुंज में बस जा ओ भामिनी।।
ओ सुंदरी, संग में तेरे गाऊँ जीवन के गीत,
तेरे अक्स को इन नयनों में उतार लूं, पिया,
उलझे जो गेसू तेरे, इनको संवार लूं पिया,
गाऊँ संग-संग तेरे ओ पिया राग-रागिनी।।

.    .    .

Discus