जब ते मिले नयन सांवरिया, तो से,
कह दूं, रहूं सदा पिया तेरा हो के।
प्रेम राग की माला फेरूं, नित-नित,
पाऊँ सलिल-सुगंध प्रेम के भीने झोंके।
पिया सप्तपदी के फेरे, तेरे संग ले डालूं,
मन मेरा प्रेम पपीहा' सनम तुम्हें मैं पा लूं।।
बराई है इश्क की' तुम बिन चैन नहीं,
विरह की आग लगी, जो मिलते नैन नहीं।
आकाश का आंगन जगमग, तारे हैं महफिल में,
तुम बिन मदहोशी का आलम, कटते रैन नहीं।
छवि तेरी ओ सांवरिया, अपने नैन बसा लूं,
मन मेरा प्रेम पपीहा, सनम तुम्हें मैं पा लूं।।
सजाई हैं इश्क की महफिल, बड़ी हसरतों से,
तुम आए नहीं हो अभी, हैं सूनापन छाया सा।
तुम्हारे लिये खुद को सजाया, बड़ी नेमतों से,
पतझड़ लग रहा, मौसम बहार का छाया सा।
तुम थोड़े रूठे-रूठे हो, आओ तुम्हें मना लूं,
मन मेरा प्रेम पपीहा, सनम तुम्हें मैं पा लूं।।
इश्क की अजीब रस्में, तुम बिन उदास हूं,
तेरे बिना कटता नहीं पल, हैं इंतजार तेरा।
उर्मित हृदय में अंकुर ले चुका प्यार तेरा,
इश्क की बराई गा लूं, बस एतबार तेरा।
राह तकूं देर तलक, बिगड़ी बात बना लूं,
मन मेरा प्रेम पपीहा, सनम तुम्हें मैं पा लूं।।
बराई इश्क की' कैनवास पर उकेरा हैं तुझे,
मंद-मंद मुस्कराता हुआ तू और उदास मैं।
जगते हुए एहसास और प्रेम के लहर का शोर,
तुम आओ तो करीब, हो जाऊँ खास मैं।
प्रेम की पगडंडी, तुम संग कदम बढ़ा लूं,
मन मेरा प्रेम पपीहा, सनम तुम्हें मैं पा लूं।।