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जीवन पथ, तेरी जय-जय हो,
सिखलाया जो तू ने समान भाव,
बतलाया समय का तीव्र बहाव,
कहा शांत हो, तेरी आज विजय हो।।
मानक बिंदु उन आदर्शों का,
सिखलाया तू ने पन्नों पर उकेर,
बतलाया, सार्थकता की सीमाएँ घेर,
बोला फिर, तुमको कभी न भय हो।।
हां, जीवन तेरा जो उद्देश्य पाठ,
ज्ञान सुधा के सागर सा बनकर,
रखा जो सिर मेरे निर्भयता का हाथ,
कहा शांत हो, तेरा सही समय हो।।
कुछ जो थे भ्रामक से बने धुंध,
तुमने संभला मुझको दीप जलाकर,
मन बिंदु पर साहस के गीत सुनाकर,
बोला फिर, अब से तुम वीर अभय हो।।
कुछ जो थे हृदय पर द्वंद्व के छाले,
तुमने सत्य बता स्नेह का लेप लगाया,
अनुभव के बल से आगे का राह बताया,
कहा शांत हो, अब तुम्हें नहीं विस्मय हो।।
जीवन पथ, बस तेरा हो जय-जय,
तुमने जो बतलाया मुझको सही समय,
फिर तेरा वरद हस्त, अब होगा नहीं भय,
कहा जो फिर, पथ पर तुम वीर अजय हो।।

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