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जिया में, तुमको बसाये जो बैठे'
भीगे हुए नेह, तुमसे लगाये जो बैठे'
चाहतों की बगिया, पिया सजाये जो बैठे'
तू आए ना सजना, मिलन को अटरियां’
तू बसा मेरे नैनन में, तू' मेरा संवरिया।।

बन बावला मन, निहारे डगर सारी रात"
चैन आए ना जिया, पिया तू जो न आए'
कहूं विरह से भरी बात, जिया तड़पाये'
इक जगी प्रेम रागिनी, दूजे बाली उमरिया'
तू बसा मेरे नैनन में, तू' मेरा संवरिया।।

अँखियां तुम से मिलाई, प्रीति बढ़ती गयी'
जगी प्रेम, सजना प्रेम विरह गीत गाऊँ'
तू अजु लौ न आए, विरह ज्वाला जल जाऊँ'
पहले जो मिले थे नैना' ढूंढूँ तुमको डगरिया'
तू बसा मेरे नैनन में, तू' मेरा संवरिया।।

मन प्रेम में, अंग-अंग में एहसास तेरा बसा'
मिलने की चाह में, बलमा' मेरे नैना उदास’
बीती जाये रतियां, मिलने की बढ़ रही प्यास’
पिया आओ तो मिलने, मिल जाने दो नजरिया'
तू बसा है मेरे नैनन में, तू' मेरा संवरिया।।

कह जो रहा हूं, पिया जिया तुम ही बसे हो'
आओ तो मिलने, बांधूँ तुम्हें प्रेम डोर से'
मन मेरे हलचल मचाना, मीठे शब्द शोर से'
तुम संग भीग जाऊँ, बरसे प्रेम रस बदरिया'
तू बसा मेरे नैनन में, तू मेरा संवरिया।।

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