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कानन में, मन को तुमसे" मीत मिलाये,
हलचल हैं, कब से बैठे" प्रीति जगाये'
चाहत में बंधकर मन” निभाने रस्मों को'
मैं तेरा हूं अरे ओ साथी, खाया कसमों को'
आहट तेरे आने का, दिल में शोर मचा'
स्वागत को प्रिय, मैंने दिल के द्वार सजाये।।

तेरा अक्स उभड़ आया है नयनों में'
सनम मेरे' दिल तुमपर वार चुका हूं'
चाहत की हामी भरने को स्वीकार चुका हूं'
प्रेम युद्ध में प्राण प्रिय, सब तो हार चुका हूं'
तुम मेरे हो बालम' मन तेरा है बालम'
हम दो पंछी, मधुर राग कलरव के गाये।।

तुम और हम' जीवन के डोर बंधे हैं प्रिय'
प्रेम पथिक है, संग चलने की हामी है'
प्रेम डगर पर' चलने को राजी है संग प्रिय'
तेरे प्रीति के मधुरस में भिंगी भली गुलामी हैं'
मन तेरे आस-पास ही डोले रहा है कब से'
तुम सुन लो' मैंने प्रेम राग में डुबे गीत बनाये।।

अजब कशिश है प्रेम की, इसकी बड़ी बराई है'
मन तेरे संग ही फेरे लेने को तरश रहा है रे'
मन भीगें अब तेरे संग, प्रेम रस बरस रहा है रे'
तू भाये गयो भोलो बालम रे, मन हरष रहा है रे'
चंदन का सा भीना सुगंध, स्नेह सुवासित रे'
तू बस जाना मेरे हृदय, मैंने प्रेम मंदिर बनवाये।।

अल्हड़ सा है प्रीति' नीति-नियम नहीं जाने'
प्यारे बालम रे' तुमसे मेरो नैना लड़ जाये'
जरा पास आ जइयो' कसम से प्रीति बढ जाये'
अजब प्रेम की पगडंडी, प्यास दिल की जग जाये'
यहां प्रीति में जयकार मचे, है प्रेम डगर बालम'
हम दोनों भी जयकार करे, नयनों से नैन मिलाये।।

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