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मन, इन जग बाधाओं से दूर कहीं
अब मुक्त मन हो मैं काशी जाऊँगा,
जहां बसते कैलाशी अविनाशी शिव हैं,
भजन भाव से उनका गाऊँगा।।
कहते, जहां चैतन्य हैं कंकड़-कंकड़,
छवि विराजे घाट-घाट पर भोले शंकर,
नाथ हमारे हैं बम भोले अभियंकर,
चरण चाकरी कर के उन्हें मनाऊँगा।।
लेकर गंगा जल से अभिषेक करूँगा,
शिव-शिव शंकर भाव में नाम जपूंगा,
चरण चाकरी करने का लाभ लहूंगा,
अविनाशी कैलाशी के गुण को गाऊँगा।।
बिल्वपत्र को चढ़ा-चढ़ा, नाम रटूंगा भोले,
बम बोले कैलाश के वासी द्वार कृपा के खोले,
जपूंगा ऊँ नम: शिवाय, हर-हर ऊँ नम: शिवाय,
भावना हृदय में शिव का हो जाऊँगा।।
चंद्रमौली के चरणों में वंदन बारंबार करूंगा,
भोले मेरे भाव के भूखे, चरण में शीश धरूंगा,
जटा में गंगा धारण करते, मन जयकार करूंगा,
शिव भोले का पूजन कर के वर को पाऊँगा।।

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