मोहन, चितवन तनिक इधर तो डारो,
बनवारी, हे नटवर नंद बाबा को प्यारो,
हम जन तेरे नाथ, कृपा दृष्टि तो डारो,
नैनन मेरे बसो श्यामरो नैनन मेरे बसो।।
करो कृपा, आप अकारण करुणा-वरुणालय,
बिगड़ी बात बना दो, व्रज को बास करा दो,
जग जाए प्यारे सोए हुए भाग्य हमारो,
नैनन मेरे बसो श्यामरो, नैनन मेरे बसो।।
हे नटवर-हे नटखट मेरो व्रज से प्रीति बढ़ा दो,
मन लगा रहे मेरो, गोकुल की गली घुमा दो,
मैं तेरा जो हूं प्यारे अर्जी मेरी नहीं टारो,
नैनन मेरे बसो श्यामरो, नैनन मेरे बसो।।
सेवा दे दो श्री चरणन की, दास कहाऊँ तेरो,
अब जो हुए तुम्हारे अब कृपा-दृष्टि मत फेरो,
आए हम तेरे चरण-शरण तुम्ही एक सहारों,
नैनन मेरे बसो श्यामरो, नैनन मेरे बसो।।
ना चाहूं मैं गति गिद्ध का और ना चाह हैं दूजा,
तेरे चरण की सेवा कर लूं करूं प्रेम से पुजा,
हे प्रभु दीनानाथ जगत के समझो तनिक इशारों,
नैनन मेरे बसो श्यामरो, नैनन मेरे बसो।।
हे माधव मैं तेरा हूं, इतनी तो हामी भर दो,
दास तुम्हारा हूं, नाम चरण-चाकरी कर दो,
मन मेरा पापी-मैं कपटी, कृपा सिंधु मोहे तारो,
नैनन मेरे बसो श्यामरो, नैनन मेरे बसो।।