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नटखट नंदलाल छेड़े बांसुरी की तान,
हैं मुरली-मनोहर, हैं घनश्याम-सुंदर,
गोपी के नटवर प्यारे हमारे कृष्ण माधव,
भक्त के श्री बांके-बिहारी हमारे अमी-प्राण।।
मां यशोदा जिनकी लेती हैं बलैयां,
ऐसों सुकुमार नटखट हैं मेरे कन्हैया,
व्रज के बिहारी हमारे प्यारे गोविंद-केशव,
श्रुति की पंक्तियां जिनका करें गान।।
श्री राधा-वल्लभ प्राण प्यारे हैं हमारे,
करते करुणा ऐसे ही गिरिधर प्राण-प्यारे,
हैं जगत के नाथ जगत पति राधा-माधव,
जो जोगी-मुनि के हृदय का हैं रस-खान।।
जो सूक्ष्म हैं, तो विराट हैं-विशाल हैं,
प्रेम-रस की साधना से रीझता दयाल हैं,
हैं हमारे नटखट अति उदार गोपाल-गिरिधर,
जो ब्रह्म है, जगत जिनका धरता हैं ध्यान।।
नटखट हमारे कृष्ण छेड़े मधुर मुरली-तान,
चराए गैया खेले गोप संग हमारे कन्हैया,
जो चैतन्य हैं-ब्रह्म हैं नंदलाल प्यारे नटवर,
भक्त हृदय में बसते राधा वल्लभ अमी-प्राण।।
नटखट नंदलाल संग लिए चले ग्वाल-बाल,
नाचे मुरारि कालिया के फन पर मधुर तान,
छेड़े बांसुरी के राग जगत पति गोविंद-केशव,
गोकुल के कन्हैया, ऋचाएं करें जिनका बखान।।

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