प्रिय' तेरा जो था, साथ का वादा।
सनम चल कर उम्मीदों के डगर।
सुनो जी हां, आ गए हम तेरे नगर।
यहां अंजान सी गलिया, अंजान सा शहर।
असर प्रेम का छाया' मिलाने को नजर'
दीवानगी बढ गई मेरी, आया तेरे शहर।।
प्रीति के स्याही, लिखे तू ने प्रेम की पाती।
मन, तेरा दीवाना था, तेरे नगर आया।
बना दिले हाल परवाना, ऐसा नशा छाया।
कहानी प्रेम ग्रंथों का, उठाए इस डगर आया।
तू पता दिल का सही बता देती अगर।
दीवानगी बढ गई मेरी, आया तेरे शहर।।
लिए चाह के मोती पिरोऊँ प्रेम की माला।
मिलाने को नजर' प्रिय बेताब बन आया।
तू दिले हाल समझो तो, मिलने सनम आया।
तू माने या नहीं माने, दिल को पेशगी लाया।
अरी ओ शबनमी ओस सी, मुझ पे तेरा असर'
दीवानगी बढ गई मेरी, आया तेरे शहर।।
चहक दिल में लिए, चला आया प्रेम का राही।
हुआ मन दीवाना है नैना तुमसे मिलाने को।
मैं तुम्हारा हूं, हाले दिल अब बातें बताने को।
शहर तेरे चला आया, चाहत तुमसे जताने को।
तुम जो पास आ जाओ, चैन से बीते सफर।
दीवानगी बढ गई मेरी, आया तेरे शहर।।
प्रिय' तूने किए वादे, डगर पर साथ चलने को।
सनम अब साथ आ जाओ, आया हूं बुलाने को।
चलेंगे डगर पे संग में साथी, आया हूं जताने को।
अभी तक तू जो नहीं आई, आया हूं मनाने को।
एक प्यास चाहत की, दूजे तड़पती में डुबी नजर।
दीवानगी बढ गई मेरी, आया तेरे शहर।।