Image by Satyam Baranwal from Pixabay
राघव मेरो दयालु, प्रभु अतिशय प्यारो हैं,
दशरथ के लाल अवधेश अवध दुलारो हैं,
मन कुंज में रमणे वाले सीता पति राम,
मोहक छवि, गले वैजयंती माला डारो हैं।।
प्रेमी हृदय में बसने वाले सीताराम-सीताराम,
भक्ति सुधा के रखवाले राजा राम-राजा राम,
निज जन के अपने प्यारे छवि हैं शस्य-श्याम,
माया पति की जय हो रघुवर को लीला न्यारो हैं।।
जन रंजन-प्रभु दुःख भंजन कौसल्या के लाला,
प्रेम सुधा में भिंगने वाले भक्तों के प्रति पाला,
जिनकी छवि में बसता हैं कोटी छवि सत-काम,
भव की विपदा हरने वाले राम जग को तारो हैं।।
मुक्ति-भुक्ति के दाता रघुवर कृपा-प्रेम के सिंधु,
जग की क्षुधा मिटाने वाले निज-जन के हैं बंधु,
माया पति की लीला न्यारी शाकेत हैं उनका धाम,
गज-ग्राह द्वंद्व में आकर प्रभु गज-प्राण उगारो हैं।।
आली री, रघुवर-अवधेश मेरे सुंदर श्याम सलोना,
लीला पति लीला रचते, केवट के चरणों का धोना,
मन बिंदु पर छवि विराजे प्रति पल आठो याम,
भक्ति प्रेम से रीझने वाले हनुमत को प्यारो हैं।।
मेरे राम रमण करने वाले जीवन के कण-कण में,
सीतापति के राम रस भरते भक्तों के जीवन में,
करुणा के सागर प्रभु निर्मल मुक्ति-भुक्ति के धाम,
अपनी वाणी पूरी करने को वाण ले दुष्टन मारो हैं।।
. . .