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रेशमी धागे हैं बड़े अनमोल,
स्नेहिल समझो हृदय का प्यार,
मधुर-मय यह धागों का त्योहार
बहना की उमर हो वर्ष-हजार।।

धागे-धागे जुड़ रक्षासूत्र बन गए,
आया शुभ दिन राखी का त्योहार,
हर्षित मन हुआ भाई-बहन का,
स्नेह रिश्तों में उभड़ा अपरंपार।।

युगों-युगों से आ रही परंपरा,
धागों में प्रेम छिपा हुआ अनमोल,
बहती हैं हृदय में आशीष की धार,
मधुर-मय भाई-बहन का त्योहार।।

धागे जो निर्मलता का भाव समेटे,
निर्भय करने को रक्षा का वर देते,
मन वीणा को झंकृत कर देता हैं पर्व,
उत्सव यह मधुर यह रिश्तों का व्यवहार।।

रिश्ते, जो मधुर-मधुर भावनाओं के,
फिर से नव-पल्लवित होने लगे,
युगों-युगों से चलन चल रहा प्रेम का,
अमर रहे सदा ही भाई-बहन का प्यार।।

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