समय के पलकों पर पसरी हुई,
भीनी-भीनी यादों की कई तस्वीर,
कुछ तो खींचतान भरी हुई बातें,
कुछ तो खामोशी में काटी हुई रातें।।
मन के झरोखे से आया यादों का कारवां,
बीते हुए समय के पलकों से उभर कर,
अनकही बातों ने जो सजाया था सौगातें,
वह पल कुछ अजीब सा, बांकी कई बातें।।
समय के पलकों पर पसरी हुई यादें,
कुछ तीखे से, कुछ मीठे तासीर लिए,
बीती ऐसे ही कहे बिना ही कई बातें,
सुनसान भावनाओं में लिपटी हुई रातें।।
बेजार जब हुआ था मन खामोशी से,
मची हुई खींचतान से हो रहा था परेशान,
अजीब दास्तान समेटे हुए अपने में वो रातें,
गुजरा था करीब से वो अनकही कई बातें।।
समय के पलकों पर पसरी हुई सर्द खामोशी,
सुनने का इंतजार और दिल भी बेकरार,
खामोश लमहों के खींचतान में लिपटी कई बातें,
नादानी भरे हुए वो पल, यादों की वो रातें।।
यादों के झरोखे जो थे समय के पलक पे,
खींचतान भरे कई तीखे-मीठे भाव लिए,
कुछ फूल से कोमल-कुछ बने हुए कांटे,
वेदना को उभारने को आतुर वो कई रातें।।