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समय “कुछ तो दे देना उपहार,
जिसका कर पाऊँ न प्रतिकार,
जो उचित हो लेन-देन व्यवहार,
हो न्याय युक्त, सपनों का प्रतिबिंब,
देना ऐसा उपहार, रख लूं जीवन नींव।।
चंचलता के आवेग से पड़े कहीं,
प्रबुद्ध हो पथ के नैतिक नियम पढ़ूं,
सम्यक हो कर मैं भी आगे और बढ़ूं,
मन में हो धर्म युक्त सपने का प्रतिबिंब,
ध्येय हो सार्थक पथ का, इच्छाएँ हो तीव्र।।
गुण-अवगुण से पड़े उपवन का सृजन करूं,
समय" तुम करना तो सही-सही चमत्कार,
हो तुम ही तो जड़-चेतन के सृजन-हार,
मैं भी सेबूं ध्येय युक्त सपने का प्रतिबिंब,
देना ऐसा उपहार, रख लूं जीवन नींव।।
बन जाऊँ चैतन्य भाव का संवाहक'
जीवन के पद-क्रम पर चेतनता का गाहक,
द्वंद्व का अवशेष रहे नहीं हृदय में नाहक,
उन्मुक्त ज्ञान से हो युक्त सपने का प्रतिबिंब,
ध्येय हो सार्थक पथ का, इच्छाएँ हो तीव्र।।
समय" करना सही व्यवहार, देना सही उपहार,
करना हृदय कुंज में ज्योतिर्मय ज्ञान संचार,
मन जो मलिन हुआ था, करना तुम उपचार,
सार्थकता से आबद्ध हो सपने का प्रतिबिंब,
देना ऐसा उपहार, रख लूं जीवन नींव।।