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हो तन्हाई में तो खुद से बात करता है,
वो शख़्स मुझे अब भी याद करता है,
फिरता है अपने दिल में तस्वीर मेरी लेकर,
उसकी खुश्क आँखों में मेरा इंतजार रहता है, 

वो शख़्स जब से गया है दरीचे से मेरी,
जाने ये दिल क्यूँ बेकरार रहता है,
बस यही कह के उसने तोड़ दिए वादे अपने,
की उम्र भर किसी से कौन प्यार करता है,

वो गफ़लतों में रहा हमेशा ही साये से मेरी,
उसको ये सब कुछ शोगवार लगता है,
वो भी तड़पेगा उम्र भर हमेशा इश्क़ में मेरे,
बिछड़कर किसी से कोई कब सुकूं से रहता है,

दिलों में मोहब्बतों दरिया बहाने वाला,
महफिलों में अक्सर ही अकेला रहता है,
सब देखते हैं होठों पर मुस्कान उसकी,
वो अपने अंदर आँसुओं का सैलाब रखता है, 

वो अपनी जेब मे रातों का माहताब रखता है,
अपनी नशीली आँखों में मीठी शराब रखता है,
उसके इश्क़ की तुम इंतेहा न पूछो खुर्शीद,
वो अपने पास हमेशा गुलाब रखता है।

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