enter image description here

ग़रीबी... यह शब्द सुनकर आपको कैसा लगता है? दिमाग़ में कैसे-कैसे ख़याल आते हैं? गंदगी, कमज़ोर, डरपोक, निर्बल इत्यादि. कई लोग तो ग़रीबी को पाप भी मानते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि जो आज अमीर बनें हैं, वे भी कभी न कभी तो ग़रीबी से गुज़रे होंगे. ये किस्मत का ही खेल है कोई अमीर है और कोई गरीब. मैंने समाज में कई दफे देखा है कि जिसकी आर्थिक स्थिति ठीक है, वो बात-बात पर आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को बुरी तरह से डांटता-फटकारता है. ऐसी हरकत करने वाले ज्यादातर वे होते हैं, जो कभी गरीबी जैसे हालात से रूबरू नहीं हुए है. या फिर वे जो हाल ही में अमीर बने हैं.

नई-नई दौलत, नई-नई शोहरत अक्सर पचती नहीं है, उनकी ऐसी हरकतें उनकी मानसिकता बयां कर देती हैं. कहने में दोनों शब्दों में ज़्यादा फ़र्क़ नज़र नहीं आएगा. लेकिन आपके दिनचर्या में रोज़-रोज़ ये शब्द आते हैं. कई लोग तो ग़रीबी और अमीरी को गांवों और शहरों से जोड़ बैठे हैं. ऐसे लोगों के मुताबिक़ अगर आप गांव में रहते हों तो ग़रीब और शहरों में रहते हो तो अमीर. अगर मैं ग़लत हूं तो बता दीजिएगा. सही कह रहे हैं न. यह बात तो सच है गांव में ग़रीबी अधिक है. ये हुआ ग़रीबी और अमीरी नापने का एक पैमाना. ऐसे अनेकों पैमाने हैं इसको नापने के. आइए विस्तार से समझते हैं.

लड़कियां सुंदर दिखने के लिए सजती हैं. सजना भी चाहिए. सुंदर दिखना कोई ग़लत बात तो है नहीं. इसके लिए वे कई किस्म के मेकअप के समान यूज करती हैं, मसलन पावडर, फेसवास जैसी चीज़ें लगाती हैं. चेहरे पर निखार भी आता है. अच्छी दिखती है. कुछ लोगों के अनुसार ये अमीरी की निशानी हैं. अगर आपके पास पावडर और क्रीम लगाने के पैसे नहीं हैं तो आप ग़रीब हैं. ऐसे अनेक चीज़ें हैं कितना गिनाये आपको! गिनाते-गिनाते थक जायेंगे. गाड़ी है ख़ुद की? आपसे पूछ रहा हूं? नहीं है न ? मतलब आप ग़रीब. क्या वाक़ई ग़रीब होना पाप है? क्या सच में ग़रीबी और अमीरी कपड़ों, गाड़ियों, जूते-चप्पलों, शानो-शौकत और शोहरत से मापना उचित है?

अरे ये सब छोड़ो. कई लोग तो शरीर का रंग देखकर आंकते हैं. अगर आप काले हो तो ग़रीब हो और गोरे हो तो अमीर.

वैसे इतिहास गवाह रहा है जिस चीज़ ने राज किया है. लोगों ने उसी चीज़ को अपनाया है. अंग्रेज़ों ने हम पर राज किया. उनके मुताबिक़ भी गोरे ही अच्छे और महान होते हैं. उसी को हमने भी अपना लिया. लेकिन सोचिए, अगर किसी काले लोगों ने भारत पर शासन किया होता तो क्या हम काले बनने की कोशिश करते? अगर यह सच है तो फ़िर यही काले लोग जिनको हम कमतर आंकते हैं. ये अमीर होते. और गोरे रंग वाले ग़रीब. क़ुदरत का भी अजीब खेल है. बड़ी सहूलियत से खेलता है.

ऐसे कुत्सित सोच पर मैं सिर्फ इतनी कहना चाहता हूं कि अगर आप दौलतमंद है, आपकी आर्थिक हैसियत बड़ी है. फिर भी किसी इंसान को खुद से छोटा न समझें. संभव है कि आप धन कुबेर हो! आपके पास शानो-शौकत की सारी चीजें उपलब्ध हैं. यह आपकी मेहनत एवं किस्मत है. कोई गरीब है, यह उसकी उसकी किस्मत है. आपको ईश्वर ने अमीर बनाया है, तो इसपर इतराए नहीं. खुद को भाग्य विधाता तो समझने की भूल कतई मत कीजिए.

ऊपर वाला सबका हिसाब रखता हैं. दौलत-शोहरत के नशे में अपना दिमाग खराब न करें. यह कोई स्थायी चीज नहीं है. मंज़र बदल भी सकता है. तब आप क्या करेंगे? जिस जिल्लत भरी निगाहों से आप आज उन्हें देख रहे हैं. क्या कल को अपने लिए बर्दाश्त कर पाएंगे? अंत में बस इतना कहुंगा कि आपकी ये दौलत, शानो-शौकत एवं शोहरत अगर आपको थोड़ी सी विनम्रता न दे पाए तो वो बेकार है. क्योंकि दौलत और शोहरत, दोनों अस्थायी है.

Discus