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टीवी चैनलों में टीआरपी या व्यूअरशिप को लेकर टक्कर होती रहती है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से टीआरपी का मुद्दा काफ़ी गरमा गया है. यह मामला तब शुरू हुआ , जब टीवी-9 भारतवर्ष के नम्बर दो पर पहुंचने को लेकर न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत शर्मा (एनबीए) ने चिंता जाहिर करते हुए ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) को जांच के लिए एक पत्र लिख दिया.

सिर्फ़ एनबीए ही नहीं न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स फेडरेशन (एनबीएफ) के रिपब्लिक चैनल के मलिक अर्नब गोस्वामी ने भी टीवी-9 की अचानक बढ़ी रेटिंग को लेकर बार्क को पत्र लिखा और जांच की मांग किया था.

लेकिन बार्क ने किसी भी तरह की गड़बड़ी होने से इंकार कर दिया. फिर मामला और अधिक गरमाया, जब एक स्टिंग ऑपरेशन की वीडियो में यह दावा किया गया कि टीवी9 भारतवर्ष ने पैनल घरों से छेड़छाड़ किया है.

बार्क के मुताबिक़ उन्होंने इस वीडियो की जांच कर लिया है. वीडियो में पाया गया कि जो लोग इस वीडियो में दिखाई दे रहे हैं और जो भी कुछ कह रहे हैं, उसके लिए पैसे भुगतान किया गए है. यह वीडियो नक़ली है.

आगे बार्क ने कहा कि किसी भी तरह की छेड़छोड़ नहीं किया गया है. हम पारदर्शिता अपनाते हैं. अपने नियमों और पैमानों के आधार पर टीवी रेटिंग देते हैं.

एनबीए अध्यक्ष ने आज यानी 16 जुलाई को वापस बार्क को चिट्ठी लिखी है. इसमें बार्क के जांच रिपोर्ट का विवरण मांगा है.

पत्र में लिखा है कि बार्क ने स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो इतनी जल्दी से कैसे जांच कर लिया ? और इतनी आसानी से फ़ैसला भी सुना दिया.

आगे पत्र में लिखा है कि एनबीए यह जानना चाहता है कि जांच किसने की? चूंकि आरोप बार्क के खिलाफ थे. इसलिए एनबीए चाहता है कि जांच किसी तीसरे पक्ष द्वारा की जानी चाहिए.

एनबीए चाहता है बार्क एनबीए के साथ इस जांच रिपोर्ट को साझा करे ताकि यह समझने में मदद मिल सके कि जांच इतनी जल्दी कैसे संपन्न हुई कि डेटा में कोई छेड़छाड़ नहीं हुई और वीडियो फर्जी हैं.

पत्र में कहा गया है किइससे पहले भी छेड़छाड़ को लेकर टीवी 9 तेलुगु की रेटिंग को निलंबित कर दिया गया था. क्या यह रिकॉर्ड जांचकर्ताओं को उपलब्ध कराया गया था?

पैनल टैंपरिंग के आरोप न्यूज़ चैनलों पर पहली बार नहीं लगे हैं, ना ही टीवी 9 भारतवर्ष के ऊपर यह पहला आरोप है. वर्ष 2016 में, इंडिया न्यूज़ , टीवी 9 तेलुगु और वी 6 न्यूज़ पर व्यूअरशिप बढ़ाने के लिए बार्क के मीटर वाले पैनल घरों को अपना चैनल दिखाने के लिए घूस देने का आरोप लगाया था. नतीजा यह हुआ कि बार्क के रेटिंग को चार हफ़्तों से लिए निलम्बित कर दिया गया था.

पैनल टैंपरिंग के तमाम मामले इस बात की ओर इशारा करते हैं कि बार्क के सिस्टम में खामी है और वह पैनल होम की गोपनीयता को बरकरार नहीं रख पा रही है.

ग़ौरतलब है कि व्यूअरशिप के आंकड़े जुटाने के लिए मसलन किस घर में कौन-सा चैनल चलता है और कितनी देर तक चलता है, यह आंकड़ा जुटाने के लिए बार्क ने देश भर के चुनिंदा घरों में ‘बार-ओ मीटर’ लगाया है. ऐसे घरों को पैनल होम भी कहते हैं. पैनल को किसी भी तरह की छेड़छाड़ से बचाने के लिए इन घरों की पहचान नहीं बताई जाती.

बता दें बार्क भारत भर के ब्रॉडकास्टर्स, विज्ञापन एजेंसियों और विज्ञापनदाताओं का संयुक्त समूह है. यह टीवी रेटिंग देनेवाली भारतीय संस्था है.रेटिंग किसी भी चैनल की लोकप्रियता का पैमाना होता है. और इसी के आधार पर विज्ञापनदाता अपना निर्णय लेते हैं.

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