आज मैं एक ऐसे शख्स के बारे में बात कर रही हूं जो क्रिकेट का बादशाह कहा जाता है। जी हाँ विराट कोहली का नाम तो आपने सुना ही होगा। 5 नवंबर 1988 को जन्मे विराट कोहली भारत की राजधानी नई दिल्ली से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली से की I इनके पिता स्वर्गीय प्रेम कोहली (आपराधिक वकील) थे। विराट का उपनाम चीकू है। वह बहुत आक्रामक और भावनात्मक छवि के व्यक्ति हैं। जब वे 3 वर्ष के थे तभी से कोहली का रुझान क्रिकेट की तरफ हो गया था। जब विराट 9 वर्ष के हुए तो उनके कोच राजकुमार शर्मा जी ने उन्हें पश्चिम दिल्ली क्रिकेट एकेडमी ले गए। कोहली के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत वनडे से 18 अगस्त 2008 को श्रीलंका के खिलाफ दाम्बुला में, टेस्ट की 20 जून 2011 को वेस्टइंडीज के खिलाफ किंग्सटन में व टी-20 की 12 जून 2010 को जिंबाब्वे के खिलाफ हरारे मैं हुई । फिर विश्व कप डेब्यू 2011 में शतक बनाने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी बने।विराट कोहली 2017 में महेन्द्र सिंह धोनी के बाद कप्तान बने जब इग्लैंण्ड टीम भारत आयी थी। इसके पहले वर्ष 2008 में 21वर्ष के कम आयु वाले विश्वकप क्रिकेट टीम के कप्तान रह चुके है।विराट कोहली टैटू प्रेमी भी है। उनके बाएं कंधे पर सबसे पहले ईश्वर की आंख जो शक्ति का प्रतीक है, जो अज्ञात है बनी है। इसी प्रकार उन्होंने अपने दाएं बाएं बाजू पर कई टैटू बनवाए हैं। वे दिल्ली के मशहूर रेस्तरां नुएवा के मालिक हैं। वह एक अच्छे क्रिकेटर के साथ एक अच्छे खिलाड़ी भी हैं। वे अपने शारीरिक फिटनेस की वजह से कई लोगों के आदर्श हैं। 2006 में उनके पिता का मस्तिष्क की बीमारी से निधन हो गया था। उनके निधन के अगले ही दिन विराट को कर्नाटक के खिलाफ मैच खेलना था, जहां उन्होंने 90 रन की पारी खेली। उन्होंने 2012 में आईसीसी एक दिवसीय वनडे प्लेयर ऑफ द ईयर का पुरस्कार जीता।

समय कभी एक समान नहीं रहता। इस समय विराट किसी भी फॉर्म के कप्तान नहीं है। विराट कोहली की कप्तानी बचाने के लिए हर हाल में जीतना जरूरी था। परंतु एक मैच जीतने के बाद आगे के सभी मैच मैं हार मिली लेकिन कप्तानी छोड़ने की बात सिर्फ सीरीज में हार या जीत पर निर्भर नहीं करती थी। विराट कोहली की लड़ाई बीसीसीआई से चल रही थी। इसको समझने के लिए विराट कोहली के टेस्ट टीम के कप्तान के तौर पर योगदान को देखना जरूरी है । कोहली के ठीक बाद बीसीसीआई ने सोशल मीडिया पर उनके योगदान की तारीफ करते हुए उन्हें टेस्ट क्रिकेट का सबसे कामयाब कप्तान बताया। इसके पहले विराट कोहली तीनों फॉर्मेट के कप्तान थे तब उनके योगदान या उनका आभार जताए जाने का कोई जिक्र नहीं था। समय के चक्र में विराट रूप सूरज को उसके स्थान पर पहुंचा दिया है जहां से बतौर पेशेवर क्रिकेटर में खुद को टीम में बनाए रख पाए तो यही उनके लिए बड़ी कामयाबी होगी। विराट कोहली ने भारत के लिए कुल 68 टेस्ट मैचों में कप्तानी की जिसमें उन्होंने 40 मैचों में जीत दिलाई। उनकी कप्तानी में हमने 17 मार्च हारे और 11 टेस्ट ड्रा करें। भारत की ओर से किसी भी कप्तान ने इतने टेस्ट मैच में जीत हासिल नहीं की। 

विदेशी पिचों पर जो कामयाबी विराट कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया को मिली है वह कभी भुलाया नहीं जा सकता और बार-बार यह याद दिलाता रहेगा की विराट कोहली को बतौर कप्तान जो विदाई मिली है वह कहीं बेहतर बर्ताव के हकदार थे।साल 2014 में भारत के आस्ट्रेलिया दौरे के दौरान विराट कोहली के कप्तानी का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। मिचेल जॉनसन,पिटर सिडल,और रेयान हैरिस की गेंदों के सामने विराट ने पहली पारी में 115 रन ठोके और चौथी पारी 364 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए उन्होनें 141 रनों की पारी खेली थी। उनकी इस शानदार पारी के बाद भी 48 रनों से हार गया था। 68 टेस्ट मैच में कप्तानी करते हुए कोहली ने 20 शतक लगाए बतौर कप्तान टेस्ट मैचों में उनसे ज्यादा शतक केवल ग्रीम स्मिथ ने लगाए जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका के लिए 109 टेस्ट मैचों की कप्तानी में 25 शतक लगाये थे।अगर कोहली कुछ दिन और कप्तान रहते तो यह रिकार्ड उनके नाम हो जाता । अभी हाल ही में शोएब अख्तर ने सोशल मीडिया पर कहा कि क्रिकेट की इस मुकाम पर पहुंचने के लिए लोग एड़ी चोटी लगा देते हैं । अगर मैं (शोएब अख्तर )होता तो शादी नहीं करता ।कहीं न कहीं उनके जीवन में इस तरह की घटना होने को वह शादी से जोड़ते हैं ।

अगस्त 2016 से मार्च 2020 तक लगातार 42 महीने मतलब 3 साल 6 महीने तक भारतीय टेस्ट की कप्तानी में टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराया और टीम वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल तक पहुंची ।इस दौरान घरेलू मैदानों पर टीम का प्रदर्शन और भी शानदार रहा पिछले 14 टेस्ट सीरीज में घरेलू मैदान पर टीम को हार का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन समय का पहिया घूमा और कोहली की कप्तानी में टीम इंडिया ने कोई बड़ा टूर्नामेंट नहीं जीत सकी ।2019 के वर्ल्ड कप में न्यूजीलैंड ने टीम इंडिया को सेमीफाइनल में हरा दिया। इसके पहले 2017 में चैंपियंस ट्रॉफी हारी थी। 2021 के वर्ल्ड कप टी-20 के सेमीफाइनल में भी भारत नहीं पहुंच पाई ।आईपीएल में अपनी कप्तानी में वे रॉयल चैलेंज बंगलुरु को कभी चैंपियन नहीं बना पाए। यह टीस उनके मन में रह गई। यह सब नाकामयाबियों की वजह से वह खुद में ही बड़े आक्रामक हो गए। खेल के मैदान में उनके प्रदर्शन से ज्यादा चर्चा उनके आक्रमकता की होने लगी थी। केपटाउन में टेस्ट के तीसरे दिन ही उनकी आक्रामकता डीआरएस के दौरान देखने को मिली, ऐसा लगा कि जीत उनके लिए सब कुछ है हार को पचा पाने की काबिलियत उनमें नहीं है। 

लेकिन समय बदलते ही यह सब आपके लिए मुसीबत का विषय बन जाते हैं, जब तक मैदान में अच्छा प्रदर्शन करेंगे तब तक अधिक से अधिक लोग आपको पसंद करेंगे, समय विपरीत होते ही सब आपके कार्यों को भूलने लगते हैं ।यही वजह है जब बीसीसीआई ने टीम के प्रमुख कोच के तौर पर राहुल द्रविड़ का आवेदन स्वीकार किया ,तभी से यह कयास लगाने लगाए जाने लगा कि बतौर कप्तान कोहली बहुत दिन तक नहीं चल पाएंगे। विराट कोहली में अभी कुछ बाकी है तो निश्चित ही उन्हें सचिन के रिकॉर्ड को तोड़ने का प्रमुख दावेदार माना जा रहा है बतौर खिलाड़ी यदि वे मैदान में डटे रहे तो वे निश्चित ही एक ऐसा रिकॉर्ड अपने नाम कर लेंगे जिसे तोड़ने में किसी खिलाड़ी को काफी वक्त लग जाएगा।

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