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एक लड़की से शुरू हुई है, एक औरत की कहानी है,
दुख दर्द से भरी हुई और खुशियों से अंजानी है,
कभी कोख में मार दिया, कभी दर्द का हार दिया,
लड़की पैदा की तूने यह कह कर जुल्म हजार किया।
लड़की को बर्तन पानी, लड़के को किताबे चार मिली,
पढ़ लिखकर क्या करेगी, सुनने को बातें हजार मिली,
लड़के को एरोप्लेन, लड़की को रसोई का जेल मिला,
18 की होने पर उसको, एक अनचाहा सा मेल मिला।
इस नए मेल ने भी उसके, तन मन पर कितने वार किए,
वार उसके अस्तित्व पर, न जाने कितने बार किए।
नौ महीनों का दर्द सहकर, जब जान पर बनाई थी,
लड़का पैदा करके भी वो, कहां रानी बन पाई थी।
पिता पुत्र पति के जीवन, को जिसने संवारा है,
उसके जीवन के दरिया का, कहां कोई किनारा है।
जीवन भर संघर्ष मिला, अब अंतिम पड़ाव जो आया है,
अंत समय में भी जीवन के, हर कोई यहां पराया है।
एक लड़की से शुरू हुई, एक औरत की कहानी है,
हर औरत के दिल का दर्द, बस एक लड़की की जुबानी है,
हां ये औरत की कहानी है।

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