Source: Sonika Agarwal on Unsplash

बारिश की बूंदे पडती धरती पे
लगती है जैसे मोती से
भीगा तन-मन और उपवन
भर गई मैं उमंगो से
नूतन जीवन को जन्म दिया
सोंधी-सोंधी धरती ने
सरसो खिल कर नाच उठी
नववधू सम आनंदो से
धुला गगन हुआ मन मगन
फूल फल मुस्काये खिल खिल के
चिडिया चहक कर गा उठी
धुले धुले से पेडो से
नया नवीन आंचल ओढा हो
जैसे आज दुल्हन धरती ने
बारिश की बूंदे पडती धरती पे
लगती है जैसे मोती से

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