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इंतज़ार की घड़ी,
ये तो बता इंतज़ार की आखिर क्या हैं धुरी?
इन घड़ियों के जंजाल में,
क्यों तरस गया इंतज़ार हैं?
क्यों पल पल हर पल,
दिल में बस किसीका इंतज़ार ही बसा हैं|
इंतज़ार ही क्यों है?
जो रुलाता किसीको ज़ारज़ार है|
कुछ ना मिले तो इंतज़ार है,
मिल जाए फिर भी दिल होता बेकरार हैं|
इंतज़ार में ही,
इंतेहान हैं|
इंतज़ार भी होता,
इम्तिहान हैं|
इंतज़ार का अफसाना,
बयाँ करता सारा ज़हान हैं|
पर इंतज़ार को अब तक,
समझ ना कोई सका हैं|
बेताबी बड़ा दे,
धड़कन की रफ़्तार बड़ा दे|
जब समझ ना आये,
इंतज़ार की आखिर मोहलत क्या हैं?
जब होती इंतज़ार की निश्चित घड़ी,
तब लगता हैं जिंदगी में ये क्या आफत आ खड़ी?
धक् धक् पल पल हर पल,
धड़कता है दिल होके मध्यम|
किस उलझन में नैन थिरके?
इस बात से अनजान की वो बात कब सुलझे|
इंतज़ार के लम्हे भी होते चितचोर हैं,
सपने सजाते हैं और लगते अपने हैं|

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