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एक कहानी आगाज कर रही हैं,
कविता उसमें रंग भर रही हैं,
सुर भी खोए हैं,
किसी उदासी में लिपटे है शब्द,
बहुत रोकर
फिर हसने लगे हैं,
कहकर अधूरा,
फिर पूरा होने लगे हैं,
चोट कोई भी हो,
छुपाने लगे है,

एक कहानी आगाज कर रही हैं,
डायरी उन्हें कॉपी कर रही है,
कलम फिर आजाद हैं,
जैसे बारिश की बात हैं,
हवाओ का फासला बढ़ने लगा,
पत्तियो की नजदीकियां दूरियों से बढ़ गयी,

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