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इन जिस्मों में लहू नहीं अंगार बहता है,
हमारा हर एक लब्ज बस भारत मां की जय कहता है ।

दिलों में जुनून और आंखों में अंगार है,
अरे हमारा तो ये वतन ही हमारा पहला और आखरी प्यार है।

ये प्यार है इस मिट्टी से,
घर से आई चिट्ठी से,
ये प्यार है इस शान से,
मेरे बहारतवासी होने के अभिमान से,
अभिमान से कहता हूं,
ये मिट्टी मेरी जान है
लहरते इस तिरंगे के साथ ही तो जुड़ी मेरी शान है।

और शान अपनी मैं झुकने नही दूंगा,
दुश्मन के पत्थर का जवाब भी मैं गोली से ही दूंगा।

गोली से ही दूंगा मैं जवाब इनकी साजिश का,
इनके पुलवामा हमले का जवाब देना भी तो वाजिब था,

वाजिब था की हमारे चालीस जवान की शहादत के लिए चारसौ आतंकी ढेर पड़े थे,
क्योंकि हमारे एक - एक जवान दस - दस के सामने सीना ताने खड़े थे।

खड़े थे हम इंतेजार में
उस गोली के जो दिल को छू कर जाती,
काश बिना जंग में लड़े ,
शहीद होने की ये नौबत ना आती।

ना आती नींद सुकून से ,
ना दिन रात का होश है
देशप्रेम का दिलों में एक अलग ही जोश है,
जोश है हमें मुस्कुराते हुए इस धरती की रक्षा में राख होने का,
भारत मां की गोद में खेल कर,
उन्हीं की बाहों में जा सोने का।

भारत माता की जय!

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