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रोज रात को तकिये तले दबाए सपने को फिर से जगाना है
मुझे मेरे घर जाना है!!
पापा की उम्मीदों पर खरा उतरना है!
मम्मी के विश्वास को फिर नया सा करना है!
भाई,बहनों के साथ बचपन फिर से जीना है!
उनसे छिपकर कहीं किसी कोने में मेरी नाकामयाबी के आसुँओं को पीना है!
दोस्तों के साथ ख्वाबों का आशियाना सजाना है!
उदासी को पीछे छोड
हर हाल मुस्कुराना है !
थक चुकी हूँ अकेले चलते चलते
अब सबको साथ लेकर कहीं दूर जाना है!
मुझे मेरे घर जाना है!!

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