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एक सूक्ष्म अन्देखा कर्ण
फिजाओं मे फैल गया l
कितने परिवारों को
रोता बिलखता छोड़ गया l
क्या दोश था मेरा
जिसने भी पूछा l
वो एक कारवां सा
बिना कुछ कहे निकल गया l
मुस्काने छिन गयी
गोद ऊजड़ गये l
लोगों के घरों मे
हंसी के ठाहाके रूदाली मे बदल गये l
क्या है क्यूँ है कौन बाताएगा?
किस्को पता था ये सैलाब खुशियो को डूबा ले जयेगा l
नमी से भरी आंखों ने, जब अपनो को जाते देखा
कुछ मुस्कुराते  चेहरों को अन्धेरों में खो जाते देखा l
एक टीस भरी आह उठी थी दिल मे
पर बाताऊँ किस्को जाऊँ किस से कहने?
इतने लाचार थे हम ना कभी
वकत ऐसा आया किसी ने सोचा था नही l
ऐ वकत हमे लौटा दे हमे हमारा खोया सितारा
तेरा आभार नही भूलेंगे दोबारा l
नष्ट किये थे हमने ही हमारे जीवन का आधार
हारियाली के नष्ट होने से सांसो के लिये तरस गया संसारl
शायद ये कोविड ईश्वर का इशारा था
इंसान तुम इंसान रहो, तुझे मेरा सहारा थाl
 क्या दे पाया  तू जीवन उनको,  क्या कर लिया तूने! 
ऊँचे ऊठो अपने कार्मो से, परम ब्रह्मा सिर्फ हुँ मैंl

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