कभी इसकी तो कभी उसकी कहानियां तो बनती रहेंगी..
पर कोशिश ये करना के अपनी कहानी के मुख्य पात्र तुम खुद बनो कोई और तुम्हे उत्प्रेरित न करे,
स्वयं सोच विचार करना, फिर तुम्हे जो सही लगता है वही करना, परंतु एक बार पूरे मन से सोचना जरूर, कि जो निर्णय लिया है वो वास्तव में सही है के नहीं..!
जिंदगी के कागज पे जो लिखा जाता है उसके लिए कोई रबड़ नहीं होती तो कोशिश करना जो लिखो सही लिखो,
मानव जीवन है तो गलतियाँ तो होंगी, परंतु ध्यान रहे गलतियों की गुंजाइश तो रहती ही है हर गलती एक सीख देती है उस सीख से सीख लेकर उस गलती का दोहराव न करें अगर वही गलती अगर बार बार की जाय तो वो आदत बन जाती है।
गलतियां भी कई प्रकार की होती हैं कुछ अनजाने में हुई तो कुछ जानबूझकर की जाती हैं कुछ की माफ़ी होती है कुछ की नहीं।
गलती से भी ऐसी गलती न करना जिसको माफ न किया जा सके क्योंकि ये वो गलतियां होती है जिनकी भरपाई नहीं होती।
किसी और के बहकावे में आके कुछ ऐसा मत करना जिस से तुम्हारे दामन पे छींटे आएं, सबसे बड़ी पूंजी हमारा उत्तम चरित्र होता है और वो सबसे धनवान है जो बेदाग है।
अपनी संस्कृति से जुड़ा रहना कोई पिछड़ापन नहीं होता,
खुद को आधुनिक दिखाने की होड़ में अनाप-शनाप परिधान पहनने की कोई आवश्यकता नहीं होती।
हमारी संस्कृति संसार की सर्वोत्तम संस्कृति है तो उसे छोड़ कर हम क्यों पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भाग रहे हैं?
बदन दिखाऊ कपड़े ही क्या हमे आधुनिक बनाएंगे? क्या हम सभ्य कपड़ों में आधुनिक नहीं लग सकते?
जरूरत है अपनी संकुचित सोच को व्यापक बनाने की, हर आधुनिक तकनीक को सीखने की, हर नई चीज को सीखने की ललक रखें।
हमारे बड़ों ने हमे सम्मान देना और स्नेह करना सिखाया है सबका सम्मान करें और सर्वप्रथम स्वयं का सम्मान करे, स्वयं को प्रेम करें, सम्मान की भावना हमें किसी का अनादर करने से रोकती है और स्नेह की भावना हमे किसी को ठेस नहीं पहुंचाने देती।
किसी भी कारण से अपने अमूल्य संस्कारों को न छोड़े, ये वो निधि हैं जो आपके व्यक्तित्व में चार चांद लगा देते हैं,
स्वयं को एक बेहतरीन व्यक्तित्व का उपहार दीजिए,
अपनी जीवन नामक फिल्म के आप खुद हीरो बनिए।