पहले चेहरे किताब हुआ करते थे
कहाँ इन पर नाकाब हुआ करते थे?
अब तो पता नहीं कितने नाकाब हैं
दिखते हैं कुछ, होते कुछ और आप हैं
पता नहीं कौन मासूम है? कौन शैतान है?
झूठे अश्क हैं, और झूठी मुस्कान है,
जो जैसा है वैसा दिखता कहाँ है
पता नहीं एक चेहरे में छिपे कितने किरदार हैं?
कैसे कोई पढ़ पाएगा अब ये चेहरे
रंग बदलते गिरगिट जो ये ठहरे
अब ना ये चेहरे किताब हैं
एक चेहरे पर ना जाने कितने नाकाब हैं?

.    .    .

Discus