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नारी अगर माँ, बहन, बेटी, पत्नि और सहेली है तो पुरुष भी पिता, भाई, बेटा, पति और दोस्त होता है।

परंतु ! नारी केवल इन्हीं रूपों के लिए ही महान नहीं है, वो महान है, क्योंकि वो अपनी संतान की पहली शिक्षिका होती है वो उसे वो शिक्षा देती है जो उसे किसी और से कभी नहीं मिल सकती अगर आपकी संतान संस्कारी है तो ये संस्कार अधिकांशता उसकी माँ की ही देन होते हैं।

नारी हर रिश्ते में पूर्णतः 'समर्पण' रखती है तभी तो अपनी ससुराल को मायके से ज्यादा मह्त्व देती है उसे अपना घर कहती है जो पुरुष कभी नहीं कर सकते।

'निस्वार्थ प्रेम' की जो भावना स्त्री में होती है वो शायद पुरुषों में उतनी नहीं पायी जाती।

अब तो नारी भी घर से बाहर जाकर हर क्षेत्र में काम करतीं हैं पर फिर भी घर के प्रति उनकी जो जिम्मेदारी है उसे भी अच्छे से निभाती हैं। जो सेवाभाव स्त्रियों में होता है वो पुरुषों में प्रायः कम पाया जाता है।

घर के बड़े हो या छोटे, सबका ध्यान रखना ,सबकी रुचि, सबकी जरूरत, सबका ख्याल रखती है । ये समर्पण सिर्फ एक स्त्री ही कर सकती है, जो उसे महान बनाती है।

'सहनशक्ति' तो ईश्वर ने सिर्फ "स्त्री" को ही दी है तभी तो नए जीवन की दायनी के रूप में उन्होंने स्त्री को चुना, उसकी ये सहनशक्ति ही होती है, जो एक घर को, हर रिश्ते को बांधे रखती है ।

प्रेरणा, सहानुभूति, ममता, प्रेम, समर्पण, सहनशीलता और त्याग की भावना ये सभी गुण उसे महान बनाने हैं ।

अक्सर देखा जाता है जब एक औरत माँ बनती है तो उसे अपना करियर अपने बच्चों के लिए बीच में ही छोड़ना पड़ जाता है चाहें वो कितनी भी प्रतिभावान हो।

ये त्याग सिर्फ एक औरत ही कर सकती है, यही त्याग की भावना उसे महान बनाती है।

जब-जब अवसर मिलता है एक लड़की को वो अपनी प्रतिभा और बुद्धिमत्ता का लोहा मनवाती है।

आज भी कन्या भूर्ण हत्या, दहेज, बलात्कार, अशिष्ट व्यहवार और भी अनेक समस्याओं से पता नहीं कितनी स्त्रियों को गुजरना पड़ता है।

भले ही एक नारी को देवी मत मानिए परंतु जिस सम्मान और प्रेम की वो हक़दार हैं उतना उन्हें अवश्य दीजिए, उन्हें सुरक्षित महसूस कराएं।

फिर देखिए वो अपने हिस्से का आसमान खुद छू लेंगी और अवश्य ही गौरवांवित करेंगी।

तभी Happy Women's Day सही मायने में Happy होगा.

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