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ये कलम है मेरी प्यारी साथी
लिख देती है मन की पाती
ये सब सुनाई जो मैं कहती
पल- पल संग ये मेरे रहती
ये दर्पण मेरा बनती है
मेरे मन को ये पढ़ लेती है
सज जाती मेरे हाथों में
लिख जाती सब कुछ बातों में
मेरे सपनों में रंग भर देती है
शब्दों के मोती जोड़ कर
मन की बातें लिख देती है
मेरा, मेरी कलम से एक रिश्ता है अपनेपन सा,
लिख कर अपने मन की पाती
ये मन मैं तृप्त कर लेती हूँ
मन के दीप को प्रज्वलित कर
मैं "दीप्ति" इस मन को दीप्त कर लेती हूँ
ना छल ना कपट ना द्वेष भाव
निर्मल निश्चल इसका स्वभाव
सत्य, अहिंसा, प्रेम भाव
है नव चेतना का ये आगाज
नव युग की पहचान है कलम
प्रगति का आह्वान है कलम
विद्वानों की जान है कलम
नव भारत का नव निर्माण है कलम
तुझको मेरा प्रणाम है कलम
तुझको मेरा प्रणाम है कलम।।

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