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जिंदगी में रंग मन में उमंग रखती हूँ
जिंदादिली से जीने का ढंग रखती हूँ
व्यक्तित्व में ना सही, पर विचारों में अपने दम रखती हूँ
हाँ मैं एक कलम स्वच्छंद रखती हूँ
खुद की पसंद और नापसंद रखती हूँ
हाँ मैं भी अपनी ख्वाहिशें चंद रखती हूँ
आसान नहीं होता स्वच्छंदता से अपनी बात कहना
इसलिए नापसंद करने वाले कई औ दोस्त चंद रखती हूँ
हाँ मैं एक कलम स्वच्छंद रखती हूँ
बेमतलब के कटाक्ष सहती नहीं मैं
बिन वज़ह कुछ कहती नहीं मैं
रखती हूँ सदा होठों पर मुस्कान
फिर भी सबको दबंग लगती हूँ
हाँ मैं एक कलम स्वच्छंद रखती हूँ
कह्ते है सब तुम तो हर बात पर कविता कहती हो
चलो माना तो हजार कमियां सही एक तो हुनर रखती हूँ
व्यक्तित्व में ना सही, पर विचारों में अपने दम रखती हूँ
हाँ मैं एक कलम स्वच्छंद रखती हूँ ।।

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