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यदि आप अंतर्मन के अंतर्द्वंद को ध्वस्त कर सकते हो
तो यकीं मानिए आप किसी अन्य बाह्य संघर्ष से ध्वस्त नहीं हो सकते
एक पंक्ति है जो यहां सटीक बैठती है
"मन के हारे हार है, मन के जीते जीत"
यदि प्रयासों की गति सही दिशा में दृढ़ता के साथ हो एवं कर्तव्यों के प्रति अपार निष्ठा हो तो असंभव और असाधारण कार्य या लक्ष्य भी स्वत: ही संभव हो जाते हैं..।
व्यक्ति सभी साधारण होते हैं उनकी प्रतिभा और किसी भी लक्ष्य को पाने या करने की विधि उनसे असाधारण कार्य करा लेती है...!
अपनी कुछ पंक्तियां यहां प्रेषित कर रही हूं...
"कोशिशें यूं ही नाकाम नहीं जाती हैं,
हो सकता है कि मुकाम न मिले
पर सीख तो कई दे ही जाती हैं..
कोशिशें यूं ही नाकाम नहीं जाती हैं,
हो सकता है कि राह में सौ अड़चने मिले
पर ख्वाहिशों को तो अंजाम दे ही जाती हैं..
कोशिशें यूं ही नाकाम नहीं जाती हैं,
हो सकता है ना कायम कर पाओ मिसाल कोई नई
पर मन को सुकून और अनुभव तो दे ही जाती हैं..
कोशिशें यूं ही नाकाम नहीं जाती हैं,
हो सकता है कि तुम जीत को हासिल न कर पाओ
पर कोशिश न करने के अफसोस को तो दफन कर ही जाती हैं..
कोशिशें यूं ही नाकाम नहीं जाती हैं,
हो सकता है ना दीप्त हो सूर्य सा प्रकाश
पर मन के दीप को तो दीप्त कर ही जाती हैं..
कोशिशें यूं ही नाकाम नहीं जाती हैं।।

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