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चलो हम फिर से शुरू करते हैं
एक दूसरे से फिर पहले जैसे मिलते हैं ... 

माना के बुझ सी गयी थी जिंदगी हमारी 
आओ फिर से इसे रौशन करते हैं
मुश्किल दौर था तो मुश्किल था मिलना
अब वक़्त सुधरा है चलो हम भी मिले ना
बुरी यादों को बस्ते में बंद करते हैं
चलो हम फिर से शुरू करते हैं
एक दूसरे से फिर पहले जैसे मिलते हैं ...

कितना हसीन था हम सबका साथ
कभी हँसना कभी लड़ना
कभी रूठना कभी मनना
सब का था अपना अलग ही अंदाज
उस अंदाज में फिर से रंग भरते हैं
चलो हम फिर से शुरू करते हैं
एक दूसरे से फिर पहले जैसे मिलते हैं ...

बीते दो वर्षों की कसर दूर करते हैं
दो गज की दूरी को अब खत्म करते हैं
हम जैसे मिलते थे ऐसे चंद ही मिलते हैं
फिर से हम सब संग चलते हैं
फिर से एक दूजे को तंग करते हैं,
चलो हम फिर से शुरू करते हैं
एक दूसरे से फिर पहले जैसे मिलते हैं ।।

--दीप्ति रस्तोगी 

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