ध्यान में रमा हुआ
अनंत प्रकाश को समाहित किए
विषधर को बना वैजयंती माल
मैं शिव हूं, मैं हूं महाकाल
निराकार भी, साकार भी
विष को धरता कंठ में, हूं नीलकंठ मै
त्रिशूल लिए हस्त में देता डमरू से ताल
मैं शिव हूं, मैं हूं महाकाल
मस्तक पे सजाता चंद्र को
लिए कमंडल हूं बैरागी
धूनी रमाए पहनूं सिंह की खाल
मैं शिव हूं, मैं हूं महाकाल
नृत्य का देव, नटराज हूं
तांडव करता, मैं विकराल हूं
है जटा से बह रही गंगा की शीतल धार
मैं शिव हूं, मैं हूं महाकाल
ओमकार की ध्वनि हूं मैं
मैं मृत्युंजय, मृत्यु से भी दूं विजय,
काल का भी हूं काल
मैं शिव हूं, मैं हूं महाकाल
शक्ति संग शिव का स्वरुप हूं
अर्धनारीश्वर का एक रूप हूं
हूं पार्वती का भोलेनाथ
मैं शिव हूं, मैं हूं महाकाल
रौद्र हूं, विभत्स हूं,
मोक्ष हूं, विभोर हूं,
देता अघोर का दान,
मैं शिव हूं, मैं हूं महाकाल