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मन ही जाने मन की बातें,
मन एहसासों से कहता, मन पे जो भी बीते,
मन ही माने मन ही रूठे,
मन कहे तो सारे सच्चे, मन कहे तो झूठे,
मन ही से बन जाते अपने और पराए,
मन की करूं तो मन को भाए, मन बिन कुछ न भाए,
मन मिले तो सौ खराबी में भी जिग्री यार बनाए,
मन न मिले तो लाखों खूबी भी न मन में जगह बना पाए,
मन जो बसे उस से अच्छे अच्छे न मन चढ़ पाए
मन को जानो तो मन से जानो बिन मन न कोई जान पाए,
मन की बातें बिन मन लगाए कहां समझ में आए,
मन उड़े पतंग सा कोई न इसकी डोर पकड़ ही पाए,
मन को बांधों, बांध सको न, ये बन पंछी उड़ जाए,
मन पे लगे जो रंग प्रीत का कभी न वो उतर पाए ,
मन है सयाना, मन नासमझ है मन को कौन समझाए,
मन की कहूं तो कभी कभी मन ही मन को न समझ पाए।
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