अधरों पर सजे मुस्कान चाहें नैनो में नीर हो,
सत्य ही है, हे नारी ! तुम श्रद्धा हो, तुम शील हो..
तुम निस्वार्थ समर्पित प्रेम हो
ममता की मुरत हो,
सौंदर्यता की सूरत हो,
कभी शक्ति हो, कभी सरस्वती,
कभी हो तुम साक्षात श्री लक्ष्मी,
तुम नव-जीवन की सृजनकर्ता,
तुम अनंत सहनशीलता की परिचारिका,
तुम पवित्र-पावन सीता भी हो,
तुम रौद्र रूप धारी काली भी हो,
अहिल्या भी हो, तुम अन्नपूर्णा भी हो,
अदम्य साहस से परिपूर्ण रानी लक्ष्मीबाई भी हो,
तुम मदर टेरेसा सी सेविका भी हो,
लता मंगेशकर सी मधुर कोकिला भी हो,
तुम निश्चल हो, तुम निर्मल हो,
धरती सदा जो धैर्य है,
हाँ, तुम ऐसी धीर हो....
सत्य ही है ! हे नारी तुम श्रद्धा हो, तुम शील हो..।