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पत्नी को एक युक्ति सूझी
सोचा क्यों न पति से आज अपनी तारीफ़ करवाऊं
झट से पति से प्रश्न ये पूछ डाला
बोलो मुझसे अब भी करते हो क्या प्यार जी?
हां या ना? सच सच तुमको है बतलाना...जी
पति महाशय थोड़े से झिझके
बोले ये कैसा प्रश्न तुम पूछ रहीं
ये भी कोई पूछने की बात है
इतने सालों से हम तुम साथ हैं
पत्नी जिद्द पर चढ़ गई प्रश्न पर अपने अड़ गई
मन ही मन मुसका रही या तो तारीफ करवायूंगी
नहीं तो लड़ाई अपनी आज पक्की है
पति महाशय को नहीं पड़ना था किसी जंजाल में
बोल दिए करता हूं तुझसे ही तो सदियों से प्यार मैं
पत्नी जैसे एक दम खिल गई
अपनी तारीफ़ कराने की पुख्ता वजह उसे मिल गई
बिन देर किए झट दूसरा प्रश्न भी वो दाग दी
अपने प्रेम के जाल में अपने पति को वो यूं फांस दी
बोली अगर तुम सच कहते हो जी
प्यार क्यों करते हो हम से.. ये भी अब बतला दो जी
पति बेचारा क्या करता
जाल में अपने को फंसा समझा
लगा उसे पत्नी के इरादे नही आज नेक हैं
ढूंढ रही लड़ने की वजह अनेक हैं
और लड़ने में तो पड़ता इसका पलड़ा ही भारी है
सोच समझ कर बोला एक बात हो तो बतलाऊं
तारीफें करते करते न मैं थक जाऊं
तुम तो लाखों में एक हो
ये कह कर सोचा अब मैं यहां से खिसक जाऊं...।।

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