भारत एक प्रजातांत्रिक देश है जहां जनता का राज जनता के प्रतिनिधि द्वारा जनता के लिए होता है। राजनीति की ज्यादा समझ नहीं मुझे फिर भी जहाँ तक मेरी सोच जाती है वहाँ तक अपने विचार व्यक्त करने की कोशिश करती हूँ मैं किसी भी विशेष राजनीतिक दल के पक्ष और विपक्ष में कुछ नहीं कहना चाहूँगी बस साधारण तरीकें से अपनी बात कहती हूँ। सरकार चाहें जो भी हो प्रमुखता ध्येय देश और देशवासियों का विकास होना चाहिए। परिवारवाद, जातिवाद और निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर चुनाव में मतदाता द्वारा निष्पक्ष मतदान करना और देश को सुरक्षित हाथों में सौपना एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज है ।

अपराधी का कोई धर्म नहीं होता अपराधी सिर्फ़ अपराधी होता है और उसे दंड संहिता के अनुसार दंड मिलना चाहिए उसे हिन्दू या मुस्लिम या किसी भी धर्म या समुदाय से जोड़कर राजनीति करना सर्वथा अनुचित है। चाहें हत्या हो या दुष्कर्म दण्डनीय है, अपराधिक सोच तो किसी भी धर्म या समुदाय की हो सकती है सारे हिन्दू भी अच्छे नहीं होते और सारे मुस्लिम भी बुरे नहीं होते। किसी धर्म विशेष को आड़े लेकर राजनीति करना और वोट बैंक भरना खास तौर पर हिन्दू या मुस्लिम समुदाय पर टिप्पणी करके भड़काऊ संदेश देना सर्वथा अनुचित है।

देश में शांति, सुरक्षा और विकास ही सर्वोपरि हो.. ऐसा नेतृत्व चुनना प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है चुनाव का ध्येय ही है कि विवेकपूर्ण तरीके से योग्य नेता को उचित पद पर मनोनीत कराना। हालांकि ऐसा नहीं है कि त्रुटि योग्य चयनित प्रतिनिधि से नहीं हो सकती उसी पर पैनी नजर रखने के लिए एक जागरूक विपक्ष का होना भी जरूरी है।

जो भी नीति सरकार द्वारा लागू की जाती है उसके लाभ और हानि दोनों होते हैं और ये तो सर्वविदित है कि प्रमुखता प्रभावित मध्यम वर्ग ही होता है जैसे भूमि अधिग्रहण की नीति के अंतर्गत अधिकांशता जिलों में तोड़ फोड़ हो रही है उस से भी सबसे अधिक प्रभावित मध्यम वर्ग ही है… कटु है पर सत्य है ..!

विकास जब होगा तब होगा परंतु अभी सिर्फ दर्द है अपना व्यापार, व्यवसाय या मकान को तोड़ने का दर्द ..। ये भी सच है कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है परंतु जब बात जीविका पर आती है तो दर्द तो होता है एक आम नागरिक की पूरी जिंदगी लग जाती है अपना घरौंदा सजाने में, अपना व्यवसाय जमाने में…। विकास हो और सबका साथ हो.. हर वर्ग को खुशहाल जीवन मिले।

माना भ्रष्टाचार है … भ्रष्ट कोई भी वर्ग हो सकता है, परंतु कीमत केवल मध्यम वर्ग ही क्यों चुकाए ? निम्न वर्ग को फिर भी कई योजनाओं का लाभ मिल जाता है और उच्च वर्ग को कोई प्रभाव कभी पड़ता ही नहीं, वो चाहें नोट बंदी हो, चाहें भूमि अधिग्रहण…या अन्य कोई नीति… प्रभावित तो सर्वाधिक मध्यम वर्ग ही होता है।

अंत मे मात्र यही कहना चाहूँगी कि कलयुग में रामराज तो नहीं आ सकता भले ही नेतृत्व कितने ही योग्य हाथों में क्यों ना हो परंतु कदाचित ये हो सकता है …

"मुस्कान भले ही खिला ना पाओ पर माथे पर शिकन तुम मत देना",

सबको खुश करना मुमकिन नहीं परंतु किसी को दुखी ना करे ये तो सम्भव है।

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