Photo by Colton Sturgeon on Unsplash

समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने की अपेक्षा समाधान पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए क्योंकि माना कि हल आसान नहीं परन्तु ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका कोई समाधान नहीं.. इसके लिए मन और मस्तिष्क को सदैव स्पष्ट रखना अति आवश्यक है क्योंकि मन बोझिल हो या चोटिल हो तो मस्तिष्क में अक्सर रास्ता धूमिल और मंजिल ओझिल हो जाती है

वास्तविकता में सभी के जीवन में कई उलझने होती है उनसे निपटाना कैसे है ये स्वयं हम पर निर्भर करता है कुछ तो कुशल होते हैं हर उलझन को बहुत समझदारी से सुलझा लेते हैं...और कुछ टूट के बिखर जाते हैं। परिस्थितियां भी हमारी हैं और जीवन भी हमारा है अब हमें टूटना और बिखरना है या संवरना ... ये स्वयं हम पर निर्भर करता है।

समस्या चाहें जो भी हो उसका समाधान होता है जिस तरह सभी कठिन से कठिन प्रश्न का उत्तर होता है...अतः हमें स्वयं को इतना सक्षम बनाना है मन और मस्तिष्क को इतना स्पष्ट रखना है कि हम समस्या पर नहीं समाधान पर ध्यान केंद्रित कर सकें...क्योंकि समस्या चाहें कोई भी हो स्वयं में समाधान को समाहित करे ही होती है...तो घबराने की आवश्यकता सर्वथा नहीं होती, आवश्यकता अगर होती है तो अपना कौशल बढ़ाने की और साहस दिखाने की...न कि उस से डरने और हारने की...।

जग जाहिर है कि सबको सब नहीं मिलता परंतु जो मिला है उस में प्रसन्न कैसे रहा जाए ये स्वयं हम पर निर्भर करता है कुछ लोग होते हैं जो दर्द में भी मुस्कुरा लेते हैं और कुछ खुशी में भी बस रोते ही रहते हैं।

जिंदगी को रो कर गुजारना है या हँस कर जीना है...ये निर्णय हम को करना है।

जिंदगी के कागज़ पर सभी रंग बिखरे हैं सबके पास अपने-अपने कागज़ और अपने-अपने रंग हैं कोई इन रंगों से जिंदगी की सुंदर तस्वीर बना लेता है कोई जिंदगी के कागज़ को ही बिगाड़ लेता है।

जिस तरह सात सुरों को किसी भी क्रम में रख कर एक मधुर गायक सुरीली धुन बना लेता है उसी तरह हमें बस अपने जीवन को मधुर बनाने के लिए लय और ताल पर ध्यान देना है

मन और मस्तिष्क में स्पष्टता हो तो जिंदगी की सतरंगी तस्वीर भी बन जाती है और जिंदगी सुरीली धुन की तरह गुनगुनाने भी लग जाती है।।

.    .    .

Discus