पूरी दुनियां एजुकेशन को बेहतर बनाने में लगी हुई है। हर वह संभव कोशिश कर रहे है जिससे शिक्षा व्यवस्था को एक नया आयाम दे सकें। कई देशों की सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए पूरी तरह सहयोग भी करती है। जिसमें से भारत भी एक है और भारत की बदहाल शिक्षा व्यवस्था के बारे में भी हम सभी जानते हैं। दुनिया की इन्हीं कोशिशों के बीच एक लिस्ट जारी की गई है, जिसमें बताया गया है कि कौन-कौन से देश एजुकेशन को लेकर कितना रास्ता तय किया है। इस लिस्ट को आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने जारी किया है। इस रिपोर्ट को शिक्षा रिपोर्ट भी कहा जाता है।
इस लिस्ट में कई ऐसे देश है जो एजुकेशन के मामले में अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश को भी पछाड़ दिया है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) द्वारा जारी इस शिक्षा रिपोर्ट में कनाडा को सबसे एजुकेटेड देश बताया गया है। कनाडा में 59.96 फीसदी आबादी शिक्षित है। वहीं दुसरा नंबर पर जापान है जहां की 52.68 फीसदी आबादी शिक्षित है। अमेरिका को इस लिस्ट में 6वां और ब्रिटेन को 8वां स्थान मिला है। भारत की बात करें तो इस लिस्ट में वह टॉप 10 में कहीं भी जगह हासिल नहीं कर पाया है।
आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) की शिक्षा रिपोर्ट की माने तो दुनिया के लगभग 39 फीसदी आबादी ही युनिवर्सिटी या कॉलेज स्तर तक पढ़ाई कर पाते हैं। भारत की बात करें तो यहां केवल 20.4 फीसदी आबादी ही यूनिवर्सिटी या कॉलेज या फिर वोकेशनल कोर्स पूरा कर पाई हैं। आप इस रिपोर्ट से अंदाजा लगा सकते है कि भारत में शिक्षा व्यवस्था की क्या स्थिति है?
हालांकि भारत सरकार ने भी शिक्षा के लिए पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक बजट आबंटन करने की घोषणा की है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अपने भाषण में शिक्षा के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 104278 करोड़ रूपये की घोषणा की है, जो कि पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले काफी अधिक है। सरकारी बजट डॉक्यूमेंट के मुताबिक, शिक्षा के लिए पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में 93224 करोड़ रूपये खर्च करने का प्रावधान था। वहीं वर्ष 2020-21 में 84219 करोड़ रूपये शिक्षा क्षेत्र में खर्च किया गया था।
OECD की शिक्षा रिपोर्ट के अनुसार, कनाडा, जापान और लक्जमबर्ग दुनिया के टॉप तीन ऐसे देश है जहां पर सबसे ज्यादा लोग शिक्षित है। यहां की 25 से 34 साल की आबादी सबसे ज्यादा शिक्षित है। डाटा के अनुसार, यहां पर 2000 से 2021 के बीच टरशरी एजुकेशन में लगभग 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। यह आंकड़ा पहले 27 फीसदी था, अब बढ़कर 48 फीसदी तक हो गया है। इस लिस्ट में दक्षिण कोरिया, इजराइल, फिनलैंड और आयरलैंड जैसे देश भी शामिल है।
शिक्षा रिपोर्ट में शामिल टॉप 10 देश कनाडा, जापान, लक्जमबर्ग, दक्षिण कोरिया, इजरायल, अमेरिका, आयरलैंड, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया और फिनलैंड जैसे देश बेहतर शिक्षा की वजह से कई देशाें का बेरोजगारी दर 2.5 फीसदी से भी कम है। इस लिस्ट में शामिल देश दक्षिण कोरिया की बात करें तो वहां की बेरोजगारी दर सबसे कम 2.5 फीसदी है। उससे ज्यादा जापान में 2.6 फीसदी बेरोजगारी दर है, उसके ज्यादा ऑस्ट्रेलिया में 3.5 फीसदी, यूनाइटेड किंगडम में 3.6 फीसदी, अमेरिका में 3.7 फीसदी, लक्जमबर्ग में 4.6 फीसदी, कनाडा में 5.4 फीसदी, इजरायल में 5.5 फीसदी, आयरलैंड में 6.6 फीसदी और सबसे ज्यादा बेरोजगारी भी 6.7 फीसदी है जो कि फिनलैंड में है।
OECD ( Organization for Economic Co-operation and Development) या आर्थिक सहयोग और विकास संगठन, यह 38 देशों का अंतरसरकारी आर्थिक संगठन है। इसका मुख्य उद्देश्य विश्व अर्थव्यवस्था और व्यापार को बढ़ाना, साथ ही विश्व शिक्षा व्यवस्था को भी बढ़ाना। ताकि सभी लोग कॉलेज, युनिवर्सिटी और वोकेशनल कोर्स को पूरा कर पाए। इसकी स्थापना 1960 में की गई थी और इसका मुख्यालय पेरिस में है।
OECD की टरशरी एजुकेशनल रिपोर्ट 2022 में दुनिया के सबसे पढ़े लिखे देशों की जानकारी दी गई है। टरशरी का मतलब है- नागरिकों को स्कूली शिक्षा से आगे बढ़कर युनिवर्सिटी, कॉलेज और वोकेशनल कोर्सेज में पढ़ाई करवाना है। रिपोर्ट में सभी देशों के सरकारों के भी अपील की गई है कि शिक्षा क्षेत्र में ज्यादा ध्यान दें। क्योंकि लोगों को बेहतर शिक्षा मिलेगा तभी तो देश आगे बढ़ेगा, बेरोजगारी भी कम होगा।
भारतीय शिक्षा प्रणाली की बात करें तो वह ज्यों के त्यों है। इसमें किसी तरह का कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है, कुछ बड़े विश्विद्यालय जैसे IIT, IIM को छोड़कर। जबकि दुनिया भर में चीजों को वक्त के हिसाब से बदलना जरूरी है और जब तक परिवर्तन नहीं होता है तब तक चीजे ज्यों के त्यों रह जाती है। ठीक उसी तरह भारतीय शिक्षा प्रणाली भी है, इसमें अब तक कोई बड़ा बदलाव नहीं होने के कारण इस आधुनिक युग में भी भारतीय शिक्षा प्रणाली को कमजोर माना जाता है। हालांकि मौजूदा सरकार नई शिक्षा नीति भी लेकर आए, जो अब तक धरातल पर नज़र ही नहीं आ रही है।
भारतीय शिक्षा प्रणाली को लेकर अब्दुल कलाम आज़ाद ने कहा था कि इसमें पूर्णतः सुधार करने की जरुरत है, लेकिन अब तक इसमें कोई सुधार नहीं किया गया है। जबकि दुनिया के कई विकसित देश हर दो साल में अपने स्कूली पाठ्यक्रम को बदलते रहते हैं। लेकिन भारत जैसे विकासशील देश में 21वीं सदी के छात्र 19वीं और 20वीं सदी के शिक्षा प्रणाली से पढ़ाई करते है। इसलिए भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव अत्यंत आवश्यक है।