अब फिर से संग्राम होने वाला हैं।
महाभारत सा अंजाम होने वाला हैं।
कलयुग के कौरोवों का
फिर वही परिणाम होने वाला हैं।
इस बार विवश ना होंगे पांडव।
ना दुर्योधन को अहंकार होगा।
पांचाली के हर चीखों के बदले
विकट आक्रोशित नरसंहार होगा।
भीष्म भी चुप्पी तोड़गे अब।
अधर्म का नेतृत्व छोड़ेगे अब।
द्रोण के हर बाणों पर अब
कौरवों का ही प्राण होगा।
जो नज़र उठी द्रौपदी पर फिर।
मृत्यु का नंगा नाच होगा।
शस्त्र करेंगे मेघ गर्जना
हाथ लहू से लाल होगा।
नहीं हारेगा कोई अभिमन्यु।
मातृ लाज की रक्षा में
नहीं कांपेगा धनुर अर्जुन का।
कुल विनाशी परिक्षा में
द्रौपदी के हर अश्रू के बदले।
भीम कहर मचायेगा
करेगा शांत हृदय की पीड़ा।
शत्रु के रक्त से नहायेगा
कर्ण भी दल बदलेगा अब।
मित्रता की चिता जलायेगा
रक्त-रंजित हो जाए भले ही।
कोही,त्राही-त्राही मचायेगा

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