उम्मिदों के किरणों को
बाजारों की बस्ती क्या...?
कोई पूछें मुझसे... घर कहा़ ?
हलकिसी मुस्कान लिऐ...
ख्वाबों का उड़ता खयाल..!
आसमां को देखा...
सितारों को कभी..!
क्या...किसीने चांद को बुरा कहा...?
कभी नहीं...!
कोई पूछें मुझसे घर कहा...?
जहां किसीको जाना नहीं!
मुस्कान...से हकीकत
बिकती नहीं...।
पूछें... ये मुस्कान कहा़...?
कहा...
ये
गली में बिकती नहीं...!!