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आंखें भरी भरी लगती हैं तुम्हारी मन उदास है क्या

गलतियां तो सब करते हैं इसका भी कोई प्रकार है क्या

ज़माने भर का शोर है तुम्हारे अंदर घर शहर के पास है क्या

लगता है खुलके हंसना छोड़ दिया है तुमने पर कसम से

हस्ते हुए बहुत खूबसूरत लगते हो तुम्हे ये अहसास है क्या

लड़खड़ाते हुए भी कह रहे हो रुकूंगा नहीं

तुम्हे खुद पर इतना,  इतना नाज है क्या।

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