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हिंदी-हिंदुस्तान की राजभाषा। नाम से ही स्पष्ट है, "हिंदी", जिसका अर्थ है, "हिंदुस्तान"। हिंदी भाषा का इतिहास लगभग 1200 वर्ष साल पुराना है। हिंदी को सातवीं या आठवीं शताब्दी की शुरुआत में खोजा जा सकता है। हिंदी की जिस बोली को आधिकारिक भाषा के रूप में चुना गया है वह देवनागरी लिपि में खारीबोली है। हिंदी की अन्य बोलियाँ ब्रजभाषा, बुंदेली, अवधी, मारवाड़ी, मैथिली और भोजपुरी हैं। अधिकांश भाषाविद इस बात से सहमत हैं कि, "पुरानी हिंदी" पहली बार तेरहवीं शताब्दी-पंद्रहवीं शताब्दी में दिल्ली क्षेत्र में बोली जाती थी। यह "शौरसेनी प्राकृत" नामक मध्ययुगीन भाषा से आई थी, जो संस्कृत से संबंधित थी। अन्य इंडो-आर्यन भाषा की तरह हिंदी "शौरसेन प्राकृत" और "शौरसेनी अपभ्रंश" के माध्यम से वैदिक संस्कृत के प्रारंभिक रूप का प्रत्यक्ष वंशज है। हिंदी के बारे में सबसे दिलचस्प तथ्य यह है कि "हिंदी" मूल रूप से एक फारसी भाषा का शब्द है। इसे शास्त्रीय फारसी (ईरानी फारसी: "हेंदि") से उधार लिया गया था, जिसका अर्थ है "भारत"। हिंदी मूल रूप से भारत-गंगा के मैदान के निवासियों को संदर्भित करने के लिए इस्तेमाल की गई थी, पर आजादी के बाद हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषाओं में शामिल कर लिया गया था। तब से हिंदी भारतीय के लिए उनकी सबसे लोकप्रिय भाषाओ में से एक बन गई है। भारत में 52.8 करोड़ लोग हिंदी भाषा का प्रयोग अपनी रोजाना जिंदगी में करते हैं जो भारत की कुल जनसंख्या का 43 प्रतिशत है।हिंदी भाषा जो मूल रूप से 7वीं शताब्दी ईस्वी में उभरी थी तब इसके अनौपचारिक और ऐतिहासिक रूप थे- कैथी (ऐतिहासिक), महाजनी (ऐतिहासिक), लांडा (ऐतिहासिक), रोमन (अनौपचारिक)। यह पूरी तरह से राजभाषा नहीं थी। यानी, विशेष शब्द का विशेष अर्थ नहीं था-व्याकरण तैयार नहीं थी, नियम और विनियम नहीं थे। यह केवल बातचीत का मध्यम थी। हिंदी भाषा के कुछ रिश्तेदार भी हैं, जैसेकि- इंडो-यूरोपियन, इंडो-आर्यन, सेंट्रल, वेस्टर्न हिंदी, हिंदुस्तानी हिंदी आदि परंतु अब हिंदी की आधिकारिक पहचान "देवनागरी" है। यह देवनागरी लिपि में लिखी जाती है। हिंदी के लिंग पहलू बहुत सख्त हैं। हिंदी में सभी संज्ञाओं में लिंग होते हैं, यहाँ तक कि विशेषण और क्रियायें भी लिंग के अनुसार बदलते हैं।

हिंदी में पहले नियम नहीं थे पर हिंदी भाषा को औपचारिक रूप में लाने के लिए स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने निम्नलिखित सम्मेलनों की स्थापना की थी:

1. व्याकरण का मानकीकरण (1954): भारत सरकार ने 1954 में हिंदी का व्याकरण तैयार करने के लिए एक समिति का गठन किया था। समिति की रिपोर्ट 1958 में आधुनिक हिंदी के मूल व्याकरण के रूप में जारी की गई थी।

2. कुछ देवनागरी वर्णों के आकार में सुधार के लिए लिखित में एकरूपता लाने के लिए शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय के केंद्रीय हिंदी निदेशालय द्वारा देवनागरी लिपि का उपयोग करते हुए शब्दावली का मानकीकरण किया गया था, और अन्य भाषाओं से ध्वनियों को व्यक्त करने के लिए डायरी पेश की गई थी।

3. 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत संघ की राजभाषा के रूप में अपनाया गया था। बाद में 1950 में, भारत के संविधान ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा घोषित किया।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भारत को एकजुट करने के लिए हिंदी भाषा का उपयोग किया था, इसलिए हिंदी भाषा को "एकता की भाषा" के रूप में भी जाना जाता है। 1918 में, हिंदी साहित्य सम्मेलन में, महात्मा गांधी ने पहली बार हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने की बात की थी। गांधी जी ने हिंदी को जनता की भाषा कहकर भी संबोधित किया था। हिंदी भाषा के इतिहास पर पहला साहित्य एक फ्रांसीसी लेखक "ग्रासिम द तासी" द्वारा रचा गया था। पहली हिंदी कविता प्रख्यात कवि "अमीर खुसरो" द्वारा लिखी गई थी। 1977 में, पहले विदेश मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा को हिंदी में संबोधित किया था। अनेक महान व्यक्तित्वों के योगदान से हिंदी भाषा का प्रसार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, राष्ट्रीय स्तर पर होता गया और यह अपनी एक अलग पहचान विश्वभर में बनाती गई। अब हिंदी भाषा भारतीयों की मूल बोली बन चुकी है। आज यह सिर्फ एक भाषा ही नहीं, देश का गौरव बन चुकी है। यहां तक कि भारत के नौ राज्यों और तीन प्रदेशों में हिंदी को आधिकारिक भाषा घोषित कर दिया गया है। भारत का उत्तरी भाग इस श्रेणी में है जिसमें बिहार, छत्तीसगढ़, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, दिल्ली शामिल है। आज केवल हिंदी भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बोली जाती है। एक रिकॉर्ड के अनुसार हिंदी भाषा चौथे स्थान पर समस्त विश्व में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है। यह 50 करोड़ जनसंख्या के भीतर स्थापित हो चुकी है। भारत के अलावा नेपाल, गुयाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, सूरीनाम, फिजी और मॉरीशस सहित कई अन्य देशों में भी बोली जाती है। हिंदी और नेपाली एक ही लिपि साझा करते हैं-देवनागरी।

भारत अपनी हिंदी सिनेमा से भी विश्व में एक अलग पहचान बना चुका है। कई सारी अंतरराष्ट्रीय हस्तियाँ भी हिंदी सिनेमा के कलाकारो, उनकी प्रतिभा की सराहना करते हैं। वह कई हिंदी राजनीतिक राजनेताओं के प्रशंसक भी है। बीते कुछ सालो में इंटरनेट के माध्यम से हिंदी साहित्य, संगीत और फिल्मो आदि का अधिक प्रसार किया गया है। 2015 में, गूगल ने साल-दर-साल हिंदी सामग्री में 94% की वृद्धि दर्ज की, जिसमें कहा गया कि "21% उपयोगकर्ता हिंदी में सामग्री पसंद करते हैं।" हिंदी भारत की उन सात भाषाओं में से एक है जिसका उपयोग वेब एड्रेस (यूआरएल) बनाने के लिए किया जाता है। हिंदी का पहला वेब पोर्टल 2000 में अस्तित्व में आया था, तब से हिंदी ने इंटरनेट पर अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी, जिसने अब गति पकड़ ली है और यह दिखता है हिंदी का प्रचार अब दूर-दूर तक होने लगा है। भारत में तीस से ज्यादा अखबार हिंदी में छापे जाते हैं और उनके पाठक करोड़ों में है। भारत में सबसे अधिक हिंदी के अखबार ही बिकते हैं जिनमे से नंबर एक हिंदी अखबार के पाठक अब 2.5 करोड़ तक पहुंच गए हैं। यही नहीं भारत में कुछ ऐप हिंदी समाचार पत्र डिजिटल संस्करण भी पेश करते हैं जिन्हे एक दिन में पढ़ने वालो की संख्या लाखो में है। हिंदी केवल एक भाषा ही नहीं, एक भावना बन चुकी है। शब्दों की ऐसी दुनिया जो सबके दिल में जगह बना चुकी है। एक ऐसी भाषा जिसमे इतना अपनापन है कि वह अन्य देशों से आने वाले या उसे न जानने वालो को भी पसंद आने लगती है। और ऐसा क्यों न हो हिंदी की हर एक बनावट अद्भूत है, हर एक शब्द जो दिल को छू जाए। इससे अपने जज्बात महसूस करना आसान हो जाता है। यही नहीं इस भाषा में अपना अलग ही जादू है जो सबको अपना बना लेता हैं। यहां तक कि भारत में 14 सितंबर को "हिंदी दिवस" भी मनाया जाता है- यह देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी भाषा को देश की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाने को याद करने और सम्मान करने के दिन के रूप में मनाया जाता है। स्कूल और कार्यालयों में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इसका मूल उद्देश्य हिन्दी भाषा को केवल हिन्दी दिवस तक ही सीमित न रखकर लोगों में उसके विकास की भावना को बढ़ाना होता है।

हिंदी भारतीयो के लिए फक्र है और यह भी आवश्यक है कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी राजभाषा पर गर्व हो। परंतु जानकर आश्चर्य होता है कि हिंदी भाषा इतनी प्रचलित होने के बाद भी हिंदुस्तान में लोगो को इसे उपयोग करते वक्त आत्मविश्वाश नहीं रहता। यह सच है कि हिंदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आम भाषा नहीं है, वह अंग्रेजी है। पर इससे यह साबित नहीं होता हिंदी आने वाले लोगो के पास ज्ञान की कमी होती है। आज के समय में यह धारणा बन चुकी है कि अंग्रेजी अच्छे से बोलने या समझने वाले अधिक ज्ञानी और पढ़े लिखे होते है। परिणाम, जिन्हे अंग्रेजी नहीं आती वह खुद को काम आंकने लगाते हैं, और भीड़ में छुपना पसंद करते हैं बजाय खुल कर खुद को व्यक्त करने के। अपने ही देश में अपनी भाषा पर आत्मविश्वासी नहीं बन पाते क्योंकि हिंदी आने को लोग इस तरह देखते हैं जैसे इसमे कोई बड़ी बात नहीं जोकि बिल्कुल गलत है। देखा जाए तो एक भाषा का चौथे स्थान पर होना इसकी महत्त्वता को दर्शाता है। इसकी उपस्थिति को सिद्ध करता है। कोई भी भाषा कभी अनपढ़ता की पहचान नहीं होती बल्कि वार्ता का मध्यम होती है। इसलिए यह अवधारणा कि, हिंदी बोलने वाले लोग कम शिक्षित होते हैं, सही नहीं है। यह केवल काल्पनिक सोच है जो कुछ साबित नहीं करती। हिंदी एक लोकप्रिय भाषा है, यह सबको अपना बनाने की क्षमता रखती है। किसी भी ज्ञान को प्राप्त करने के लिए हमे एक भाषा की जरूरत होती है अगर वह भाषा समझ में आ रही है तो आप उसमें अपनी शिक्षा पूरी कर ज्ञान अर्जित कर सकते हैं। हिंदी आना या किसी और भाषा का न आना आपके ज्ञान को कम नहीं कर सकता। इसमे कोई शर्म नहीं कि आप हिंदी अच्छी बोल लेते हो, अन्य भाषा जैसे अंग्रेजी नहीं। ज्ञान भाषा विशेष का मोहताज नहीं होता है। दूसरी भाषाओं का ज्ञान होना अच्छा है, और सीखना भी चाहिए, पर अपनी राजभाषा पर भी उतना ही गर्व होना चाहिए जीतना किसी और भाषा को सीखने पर होता है।

हिंदी हमारा गौरव है, हमारी पहचान है। हिंदी भाषा इतनी विशिष्ट, प्रचलित और ज्ञानी है कि असंख्य उपन्यास, शिक्षा की किताबें, देशभक्ति गीत, वीर गाथाये, धार्मिक किताबें, वेद, पुराण, कविताये, लोकगीत, संगीत, पाण्डुलिपिया, उपनिषाद आदि इसी भाषा में लिखी गई है जो अनंत ज्ञान का सागर है। जिन्हें सिर्फ अंग्रेजी जानने वाला व्यक्ति नहीं पढ़ सकता। हिंदी भाषा के मशहूर कवि और लेखक भी हमारे देश में है जिन्होने हिंदी भाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरहना दिलायी। इनमे कवि मुंशी प्रेमचंद, धर्मवीर भारती, हरिवंशराय बच्चन, महादेवी वर्मा, जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी, नागार्जुन, अमृता प्रीतम, सुमित्रानंद पंत, रामधारी सिंह दिनकर जैसे अनेको नाम है। इन्होंने अपनी मातृभाषा से ही प्रतिष्ठिता हासिल की। इनके पास अनंत ज्ञान था और अपने देश के शब्दों से इन्होंने कई इतिहास रचे। इसलिए फक्र से कहो- हिंदी हमारा गौरव है, यह हमारी रूह में है, हमें अपनी मातृभाषा से प्रेम है, इसकी रचना अविश्वसनीय है, इसमे बेशुमार ज्ञान है। हिंदी भारतीयों के लिए सर्वश्रेष्ठ है और रहेगी। हम भी हिंदी भाषा से ही एक नया इतिहास बना सकते हैं और अधिक लोगो को इससे रूबरूह करा सकते है। हम भारतीये शान से कहेंगे हिंदी हमारी अपनी भाषा है।

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