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मीलों दूर मेरा एक गांव बसा है,
जब भी शहर की इस भागती हुई जिंदगी से दम घुटने लगता है ना, तब बस गांव में ठहरे हुए उस सुकून की याद आती है।
मुझे उस गांव की याद आती है जहां सूरज बड़ी बड़ी इमारतों से नही ,
बल्कि पेढ़ की शाखाओं से निहारने की कोशिश करता है।
मुझे उस गांव की याद आती है जहां चूल्हे में पकती हैं सौंधी खुशियां,
जहां नीम का पेड़ छांव देकर बनता है हर राही की कुटिया।
मुझे उस गांव की याद आती है जहां आज भी एक बैलगाड़ी के पीछे बच्चे जोरों से शोर करते हुए भागते हैं।
मुझे उस गांव की याद आती है जहा फुरसत मिलने पर मोबाइल नहीं, बल्कि चार दोस्त याद आते है।
यहां मक्के और चने की फसल हर खेत में लहराती है।
यहां कोयल और मैना सवेरा होते ही हर घर में मिलने आती हैं।
याद आती है मुझे उस गांव की जहां बसता है बचपन मेरा,
जहां शामें आरामदाई होती है और खूबसूरत होता हर नया सवेरा।
मीलों दूर मेरा एक गांव बसा है,
जब भी शहर की इस भागती हुई जिंदगी से दम घुटने लगता है ना, तब बस गांव में ठहरे हुए उस सुकून की याद आती है।

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