मुझे नहीं अपेक्षा, नवपीढ़ी से, मेरे इन प्रश्नों का उत्तर दे,
करवद्ध निवेदन इतना केवल, थोडा सिर्फ मनन कर ले !
दो पल सिर्फ मनन कर ले !!
मात पिता तो जुटा रहे हैं, बेहतर सुख, सुविधा, साधन,
कोशिश करते बस हो जाये, सुखमय बच्चों का जीवन,
सौंप के बच्चे आया को ही, दोनों करते धन अर्जन,
संस्कार आया से लेता, उन के बच्चों का बचपन ।
आया को ही संस्कार का, दाता समझ लिया है क्या ?
ऐसे बच्चे क्या समझेंगे, प्यार, मोहब्बत,अपनापन,
उनकी आँखों में पाओगे, अपने प्रति अनजाना पन,
व्यर्थ बहुत पछताओगे तब, व्यर्थ लगेंगे दौलत, धन,
तरस जाओगे तुम पाने को, इन अपनों का अपनापन ।
आत्मीय प्यार की अनुपम दौलत, आया दे पायेगी क्या ?
वक्त कहाँ तुम पर जो पूँछो, क्या पीया और खाया क्या,
उनके मन को बुरा लगा क्या, उनके मन को भाया क्या,
माना ‘जींस’ तुम्हारे होंगे, व्यवहार, आचरण, आया का,
पर बचपन को ना दास बना लें, दुर्गुण, संगत माया का ।
विश्लेषण कर पछताओगे, सब कुछ खोया, पाया क्या ?
ऐकाकीपन से हर बच्चा, अब स्वयं अकेला जूझ रहा,
जीवन की हर गूढ़ पहेली, बस इन्टरनेट से बूझ रहा,
अब उस को विश्वास नहीं है, अपने मम्मी पापा का,
आँख मूंद अनुकरण करेगा, कंप्यूटर और आया का ।
तुम्हें तुम्हारा कृष्ण कन्हैय्या, मात पिता समझेगा क्या ?
अब कितने घर में, बच्चों की, सुनी तोतली बातें हैं,
खूब समझते, कहाँ सत्य है, कहाँ खोखली बातें हैं ?
बचपन में परिपक्व हो गए, ना बच्चों जैसी बातें हैं,
बड़े बड़ों के कान कतरते, तर्क युक्त, सब बातें हैं ।
देकर ‘आई पैड’,’मोबाइल’ सब, फ़र्ज़ निभाया पूरा क्या ?
बच्चे खूब सुरक्षित होंगे, यदि संग में आया होगी,
खेल खिलोने व्यस्त रखेंगे, और जरूरत क्या होगी,
समय पर खाना, दूध मिलेगा, लापरवाही क्यूं होगी,
‘ऑनलाइन’ मां की लैपटोप से, नजर तो बच्चे पर होगी।
मातृत्व, स्पर्श से वंचित रखना, अत्याचार नहीं है क्या ?
कैसे भी हो, वक्त निकालो, उन्मुक्त होकर संग खेलो तुम,
अलग अलग इन भावसिंधु को, अपनत्व सेतु से जोड़ो तुम,
उन के कोमल मन भावों में, आत्मीयता जरा बसाओ तुम
बच्चों के ही सानिध्य में अपना, ज्यादा वक्त गुजारो तुम ।
ये आत्मीयता, उनको हम तक, खींच नहीं लाएगी क्या ?
बच्चों के मन, जिज्ञासा में, लाखों प्रश्न अनोखे होंगे,
आज नहीं, कल इन प्रश्नों के, उत्तर तुमको देने होंगे,
ना जाने, क्या क्या पूंछेंगे, जब जैसे जैसे बड़े ये होंगे,
खड़े कटघरे में तुम होगे, ये तेरे अपने ही जज होंगे ।
सोचो अपनों के प्रश्नों के, उत्तर उन को दोगे क्या ?
सोचो अपनों के प्रश्नों के, उत्तर उन को दोगे क्या ?
मुझे नहीं अपेक्षा,नवपीढ़ी से, मेरे इन प्रश्नों का उत्तर दे,
करवद्ध निवेदन इतना केवल,थोडा सिर्फ मनन कर ले !
दो पल सिर्फ मनन कर ले !!