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“कुछ वफादार कुत्तों की,
जो चुपचाप, आगे पीछे,
दुम हिला सकें,
और समय बेसमय,
उनकी हाँ में हाँ और,
चौंच से चौंच मिला सकें।”
बिगड़ते पर्यावरण में,
अच्छे वफादार कुत्तों की,
नस्लें लुप्त हो रहीं है,
और जो बचीं हैं,
वे पुलिस, सी आई डी आदि के,
‘डॉग स्क्वाड में प्रयुक्त हो रहीं है।
चूँकि मानव जनसंख्या,
अत्याधिक बढ़ गई हैं,
अतः पर्यावरण संतुलन हेतु,
वफादार कुत्तों की प्रतिपूर्ति,
इंसानी वफादार … से हो रही है,
इसीलिए ऐसे वफादारों की,
मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है।
मैंने जानबूझ कर ऊपर,
रिक्त स्थान छोड़ा है,
इसके लिए मुझे अफ़सोस थोडा है,
यथार्थ से अपना मुंह मोड़ा है,
पर लेखन में शब्दों की मर्यादा से,
अपना नाता जोड़ा है।
कुछ पाठक गण मुझे,
इसके लिए अन्धा बताएँगे,
लेकिन कुछ समय बाद,
उनके कार्यकलापों को देख,
मेरे विचार से सहमत हो जायेंगे
और उपयुक्त विशेषण से,
उक्त रिक्त स्थान को भर पायेंगे,
इन्हें स्वयं ‘इन्सानी वफादार कुत्ते बताएँगे ,
और हम, आप भी,
इनमे और कुत्तों में फर्क नहीं कर पायेंगे।