खेती को मत खेती समझो, यह आधुनिक इन्डस्ट्री है,
तुझमें अद्भुत प्रतिभा है पर, सुषुप्ति पड़ी दूरदृष्टि है।
भारत के बासमती चावल की, ये दुनियां दीवानी है,
बस ऐसी कोई खूबी तूने, अपने उत्पादों में लानी है,
फिर क्या दुनियां वाले तुझको, ढूंढ यहाँ तकआयेंगे,
मुँहमांगी कीमत दे घर में, सुख समृद्धि भर जायेंगे।
अनाज, दाल, तिलहन, सब्जी में, खुदको उलझा रक्खा है,
माइक्रो ग्रीन्स, मशरूम, केसर से, किस ने रोके रक्खा है ?
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों की खेती, दवाओं पर ध्यान लगा,
सौन्दर्य प्रसाधन उत्पादों पर भी, जरा अपना हाथ आजमा।
सकारात्मकता को जागृत कर, नए ज्ञान की ज्योति जला,
नई नई तकनीकें अपना कर, अपना, देश का करो भला,
बायो तकनीक से आम, जामुन से, शुगर फ्री आम बना,
जामुन में भर दे तू प्यारे, स्वादिष्ट आम का मिठास घना !
गुलाब, केवड़ा, इत्र लगा खेत में, जग को महका सकता है,
तू खेती को आधुनिक बनाकर के, चमत्कार कर सकता है
विकल्प यहाँ पर लाखों हैं पर, तुझको खुद पर विश्वास नहीं
परंपरागत कृषि में उलझा, दिया नवविकास पर ध्यान नहीं !
कौन रोकता है, फसलों संग, मधु मक्खी का पालन कर,
फसलों के अनुरूप शहद का, जी भर कर उत्पादन कर,
लहसन के गुण शहद में भर, दुनियां को निर्यात भी कर,
अपनी क्षमता को विकसित कर, रेशम का उत्पादन कर !
सूखा, पाला, बाढ़, रात से, नहीं डरा है तू अब तक,
तकनीकी रोशन पथ पर, अगला कदम बढ़ाले अब,
अपने नये ज्ञान से, श्रम से, दुनियां स्वर्ग बना ले अब,
जहाँ समस्यायें फैली हैं, वहीं समाधान भी छुपे हैं सब !
यूँही मेरी बात, नहीं सच मानो, अपने मोबाइल पर सर्च करो,
और अगर तुम सच पाओ तो, जरा इसी दिशा में ‘वर्क’ करो,
डेरी का धन्धा अपनाओ, अपना भूसा, चारा ही उपयोग करो,
काम नहीं कोई छोटा, गन्दा है, सोच को बदलो, मनन करो।
ये तो सिर्फ उदहारण है कुछ, ज्ञान चक्षु को खोल जरा,
हैं विकल्प लाखों हिम्मत कर, क्यों रहता यहां डरा डरा,
अपने प्रतिभा, क्षमता, श्रम से, दिखा हौसला अम्बर को,
समस्याओं से निकाल समाधान, रच ले तू इतिहास नया।
एक पेड़ पर, तीन सौ तरह के, आम लगा हम सकते हैं,
और फलों पर इस प्रयोग से, विश्व चकित कर सकते हैं,
उत्कृष्ट बायो तकनीकों से, इतिहास नया रच सकते हैं,
हम वह हैं जो मानव, गज से, गणेश ईश्वर गढ़ सकते हैं।
सड़ने गलने वाले कूड़े को, गड्ढे में भर कम्पोस्ट बनाओ
कम्पोस्ट खाद से पूर्ण सुरक्षित आर्गेनिक उत्पाद उगाओ,
अपने पूर्वजों की 'आर्गेनिक' फार्मिंग, आज पुनः अपनालो,
और सभी तरह का व्याप्त प्रदूषण, भारत भू से मिटवा दो।
हाय प्रदूषण, हाय प्रदूषण, हर ओर मचा है शोर घना,
इसी पराली बाय प्रोडक्ट से, चल तू पार्टिकल बोर्ड बना,
फ्री राशन लेने वालों को, जरा इसी काम पर इन्हें लगा,
निहित स्वार्थ के हथकण्डों से, काम चोर मत इन्हें बना।
अपने अतीत और वर्तमान की, हर उपलब्धि को आंको तुम,
प्रतिभा, सामर्थ्य स्वयं की जानो, मत खैरातों को झांको तुम,
अपनी आँखों के सपनों को, ना दृष्टि परिधि तक सीमित कर,
मोबाइल से, अपने ज्ञान पुन्ज को, अन्तरिक्ष तक विस्तृत कर !
खेती को मत खेती समझो, यह आधुनिक इन्डस्ट्री है,
तुझमें अद्भुत प्रतिभा है पर, सुषुप्ति पड़ी दूरदृष्टि है।