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बाबा के तीन बन्दर,

तीनों मस्त कलन्दर,
बदमाशी में तीनों देखो,
एक से एक धुरन्धर!
बाबा के तीन बन्दर!!

तनय हमारा सीधा मुण्डा,
तिजिल जरा सा ही है गुण्डा,
मगर दिवित जो सबसे छोटा,
वो तो है पूरा ही गुण्डा,
धमाल मचा रक्खा है इन ने,
क्या बाहर, क्या घर के अन्दर!
बदमाशी में तीनों देखो,
एक से एक धुरन्धर!
बाबा के तीन बन्दर!!

अम्मा ताने देती, कहती -
''बाबा की आँखों, चेहरे से,
देखो कैसी ख़ुशी टपकती.''
पर तीनों को देख देख कर,
अम्मा ज्यादा ही खुश दिखती -
भूल गई दर्द हाथ पांव का,
अब ना कहती, कमर है दुखती,
लगता ठीक किये तीनों ने,
अम्मा के सब अन्जर पञ्जर,
जान बचा भागा सन्नाटा,
जो जम बैठा था घर के अन्दर!
बदमाशी में तीनों देखो,
एक से एक धुरन्धर!
बाबा के तीन बन्दर!!

अब घर आई एक बन्दरी,
त्विषा बेटी अनिंद्य सुन्दरी,
लगती है गुड़िया जापानी,
खुशियों जैसी भोर सुहानी,
ये तो एक 'टॉकिंग मशीन' है
सुख से महका घर का 'सीन' है
बात बनाने की है आदी,
ये तो, दादी की भी दादी,
भ।इयों की है बहना प्यारी,
ताऊ, डैडा की अति प्यारी
अम्मा, बाबा की जान बावली,
माँ, ताई की बहुत लाड़ली,
बना दिया है इसने ये घर,
अपनत्व, प्यार का महासमन्दर।
बाबा के तीन बन्दर,
तीनों मस्त कलन्दर,
बदमाशी में तीनों देखो,
एक से एक धुरन्धर !
बाबा के तीन बन्दर !!
अपनों के संग मिल जाती है,
जीवन जीने की वैसाखी,
इन के संग हर पल अपने हैं,
होली, दीवाली और राखी,
पर ज्यादा दिन कब टिकने वाले,
मनचाही खुशियों के मन्जर,
बहुत जल्द ही पसर जायेंगे,
दूर दूर तक दुख के बन्जर,
फिर सन्नाटा बैठ जाएगा,
इस घर के, इस मन के अन्दर!
बाबा के तीन बन्दर,
तीनों मस्त कलन्दर,
बदमाशी में तीनों देखो,
एक से एक धुरन्धर!
बाबा के तीन बन्दर!!

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