एक समय था, सीमा पर, सैनिक सहमे रहते थे,
हाथों में बंदूकें, फिर भी, डर डर कर ही रहते थे,
सड़क, गली के कुत्ते सारे, उन पर हावी रहते थे,
अपमानित होकर बेवश, वह सब इतना सहते थे !
अब भारत भी, जबाब ईंट का, पत्थर से दे सकता है,
दुश्मन के घर में भी घुसकर, खुद बदला ले सकता है,
सैन्यबलों का शौर्य, पराक्रम और मनोबल ऊंचा है,
मान, प्रतिष्ठा और तिरंगा, नये क्षितिज पर पहुंचा है !
कूटनीति भारत की जग में, अब सबने पहचानी है,
अपने हर दुश्मन को अपनी, याद आ रही नानी है,
सिर्फ एक दो हथकंडों से ही, दुश्मन घुटनों पर आये,
जल का अस्त्र चलाया तो, वो प्यासा तडपे मर जाये !
सेटेलाईट प्रक्षेपण में भारत ने, प्रतिभा खूब दिखाई है,
और खुद भारत ने अन्तरिक्ष में, अपनी जगह बनाई है,
आज तीव्रतम विकसित होती, भारत की अर्थव्यवस्था है,
विकास राह पर अभी अग्रसर, जिसकी बाल्य अवस्था है !
ये तो तब है, जब देशद्रोह के, पग पग बिखरे कांटे हैं,
जिनकी पैठ है ज्यादा गहरी, और टुकड़े टुकड़े बांटें हैं,
दृढ इच्छाशक्ति के सम्मुख उनके,सब मंसूबे ध्वस्त हुए ,
औकात दिखा दी उनको उनकी, सारे जुल्मी पस्त हुए !
सेना नायक को कोई कहता, सड़क छाप यह गुण्डा है,
पीएम् को कहते, चायवाला, चौकीदार चोर, निकम्मा है,
एकजुट धूर्त, मूर्ख, चोर, उचक्के, भ्रष्ट, धृष्ट गठबंधन में,
कुत्ते बिल्ली, साँप नेवले, मिलकर लगे हुए हैं क्रंदन में !
खुद निर्णय लो -
स्वाभिमान से जीना है या, घुट घुट कर ही मरना है,
भीख मांग कर खाना है या, पेट इज्जत से भरना है,
भारत का उज्जवल भविष्य या भूखे, नग्न, गरीबों का,
विवेकपूर्ण वोटों से तुमको, लिखना मिला नसीबों का !
वोट, सोच समझ कर देना, दूजा मौका मिले नहीं,
ऐसा चौकीदार चौकन्ना, नहीं मिलेगा और कहीं,
यदि कोई बेहतर विकल्प हो, तो फिर वोट उसे देना,
लालच, झांसे में आकर तुम, खुद को चोट नहीं देना !
है विश्वास -
स्वार्थसिद्धि और तुष्टिकरण की, राजनीति ठुकराओगे,
गलत चुना तो अपने ही वोट से, खुद ही मारे जाओगे !
याद रखो -
सोच समझकर निर्णय लिया तो, ऐसा सूर्य उदय होगा,
जनजन की खुशियों का सूर्य, नहीं कभी भी अस्त होगा !
स्वाभिमान के साथ विश्व में, भारत की नव दस्तक है,
आज नए भारत का जन जन, गर्वित है, नतमस्तक है !
जय हिन्द !